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उर्दू की बेहतरी तब होगी, जब स्कूलों में होंगे शिक्षक -उर्दू को लेकर उठ रही दस सालों से मांग, फिर लिखी सीएम को चिट्ठी

भोपाल :उर्दू तेहजीब की जुबान है, अपनेपन और मिठास की भाषा है, इसका सरोकार किसी जात, धर्म या मजहब से नहीं बल्कि इसकी जरूरत भाषा को मुकम्मल करने के लिए है। लंबे समय से उर्दू स्कूलों में खाली पड़े उर्दू शिक्षकों के पद भरने के लिए आवाज उठाते आ रहे मौलाना उमर कासमी ने अपनी मांग को फिर दोहराया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री तक को चिट्ठीलिखकर इस दिशा में पहल करने और उचित कदम उठाने की गुहार लगाई है।

मप्र कांग्रेस कमेटी के सचिव मौलाना उमर कासमी उर्दू शिक्षकों की भर्ती को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड रहे हैँ। उन्होंने पिछले दस सालों में सैकड़ों बार संबंधित अधिकारियों-नेताओं को पत्र लिखकर इस मांग को दोहराया है। मौलाना कासमी ने एक बार फिर इस मांग को जिंदा करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को चि_ी लिखी है। उन्होंने लिखा है कि उर्दू हमारे देश की एक जानी-मानी जबान है, जिसको आमतौरर पर लिखा-पढ़ा और बोला जाता है। शासकीय पाठ्यक्रम में शामिल ऊर्दू भाषा के शिक्षकों की कमी की पूर्ति की जाना चाहिए।

कई सालों से बंद है भर्ती

कासमी ने बताया कि शासकीय स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की भर्ती कई सालों से बंद है। वे प्रदेश में भाजपा सरकार के समय से ज्ञापन, आवेदन, निवेदन कर पदों की पूर्ति की मांग करते आ रहे है लेकिन भाजपा की सरकार ने सिर्फ अल्पसंख्यको का शोषण किया और हमारी मांगो पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। इससे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पात्र होने के बाद भी शिक्षक बनने से वंचित हैं, वहीं अध्ययनरत छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय प्रतीत हो रहा है। अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद फिर से अल्पसंख्यक समुदाय को उम्मीद जागी है।

अभिभावक चाहते हैं उर्दू तालीम

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कासमी ने बताया कि खरगोन जिला शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा हुहै। यहां के अधिकतर अभिभावक बच्चों को ऊर्दू की शिक्षा दिलाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षक न होने के चलते उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में नहीं करा पाते हैं। ऐसा महसूस होता है कि भाजपा सरकार में शासन-प्रशासन की मंशा ही नहीं थी कि ऊर्दू स्कूलों में नियुक्तियां की जाएं। इसलिए जब भी उर्दू शिक्षकों की जानकारी मांगी गई तो इनके द्वारा सही जानकारी नहीं भेजी जाती है। मौलाना उमर कासमी ने मुख्यमंत्री के अलावा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों पर जल्द ही भर्ती मंजूर की जाए, ताकि प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही हमारे बच्चों को उर्दू की शिक्षा भी मिल सके।

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