जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को वामपंथी दलों ने संयुक्त रूप से उम्मीदवार बनाते हुए बिहार के बेगूसराय से टिकट दिया है. लेकिन, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महागठबंधन भाजपा को हराने के लिए कन्हैया का समर्थन करेगा. माना जा रहा है कि कांग्रेस और राजद बेगूसराय से उम्मीदवार नहीं उतारते हैं और कन्हैया का समर्थन करते हैं तो उनकी राह आसान होगी.
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस और राजद अगर कन्हैया के सामने फ्रेंडली उम्मीदवार उतारकर अप्रत्यक्ष समर्थन देते हैं तो भी कन्हैया का पलड़ा भारी रहेगा. बेगूसराय सीट से भाजपा ने केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह को टिकट दिया है. इससे पहले गिरिराज नवादा सीट से चुनाव जीते थे. ऐसे में चर्चा है कि सीट बदले जाने और सामने वामपंथी दलों के अधिकृत उम्मीदवार कन्हैया के चुनाव लड़ने से गिरिराज के लिए मुकाबला आसान नहीं होगा. कन्हैया को लेकर भाजपा राष्ट्रप्रेम और राष्ट्र विरोधी मुद्दा खड़ा कर रही है जबकि कांग्रेस नहीं चाहती कि देश विरोधी मुद्दा इस सीट पर बने.
छात्रसंघ की राजनीति के बाद मिलता है कम मौका
बड़े राजनीतिक दल अक्सर छात्रसंघ की राजनीति के बाद छात्र नेताओं को कम ही टिकट देते हैं. यही वजह है कि वर्षों से ऐसा कोई चेहरा केंद्रीय राजनीति में नहीं आया है. हालांकि, छात्रसंघ की राजनीति ने देश को कई बड़े नेता भी दिए हैं. इनमें केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और पूर्व केंद्रीय शहरी विकास मंत्री और कांग्रेस के पूर्व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन भी शामिल हैं. इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था.