देवास। ज्ञान सागर एकेडमी में बच्चों को प्रताड़ित करने व अपमानित करने की शिकायत के चलते शनिवार को जमकर परिजनों ने हंगामा किया और प्राचार्य के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। प्रिंसीपल सुप्रिया जोशी पर बच्चों और परीजनों ने आरोप लगाया कि बच्चों को अशोभनीय शब्दों से संबोधित कर प्रताड़ित करती है। बच्चों को छोटी बातोंं को लेकर दंडित किया जाता है। इसको लेकर परिजनों ने कलेक्टर और सिविल लाइंस टीआई को आवेदन देकर प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी।
प्रिंसिपल के खिलाफ छात्रा ने की शिकायत
शनिवार का ज्ञानसागर में बच्चों को प्रिंसीपल के द्वारा प्रताडि़त करने के मामले में 9 वीं कक्षा में पढऩे वाली छात्रा खुशी पाठक पिता प्रदीप पाठक ने परिजनों के साथ सिविल लाइंस थाने पर पहुंचकर एक आवेदन दिया है। आवेदन में खुशी पाठक ने बताया कि कक्षा तीसरी से स्कूल में पढ़ रही है और वर्तमान में कक्षा 9 वीं की छात्रा है। अभी उसके परिजनों द्वारा फीस नहीं देने के चलते विगत एक महीने से स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। छात्रा खुशी पाठक ने बताया कि 1 माह से दौरान मेरे पालक मेरी बकाया फीस जो कि जनवरी तक बस शुल्क सहित 12 हजार रूपए बकाया थी। बकाया फीस जमा करने जब पालक पहुंचे तो उनके पास 10 हजार रूपए थे। शेष 2 हजार रूपए कम थे। जिस पर मुझे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया। साथ ही मेरे पालकों से अभद्र व्यवहार कर अपमानित किया। छात्रा ने बताया कि विगत 6 वर्षो से सुविधानुसार फीस जमा की जा रही थी। वर्तमान में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण 3 महीने की फीस जमा नहीं की थी।
2 हजार रूपए नहीं थे इस कारण नहीं दिया बेटी को प्रिंसीपल ने प्रवेश:पिता
ज्ञानसागर में पढने वाली खुशी पाठक के पिता प्रवीण पाठक ने बताया कि जनवरी माह तक की फीस 12 हजार रूपए हो रही थी। तब हम 10 हजार रूपए लेकर स्कूल गए थे। लेकिन दो हजार रूपए कम थे। स्कूल के नियमानुसार जो फीस हुई थी। मेरी बेटी 6 साल से ज्ञानसागर स्कूल में पढ रही है। पहले की प्राचार्य भी टाईम पर फीस नहीं जमा होने पर हमसे पैनल्टी लेते थी और हम जमा करते थे। जबकि पैनल्टी लेने का कोई नियम नहीं होता है। मैं खुद दो बार निवेदन करने गया था कि फीस में 2 हजार रूपए कम है तो बाद में जमा कर देंगे। जिस पर प्रिंसीपल सुप्रिया जोशी ने बात नहीं की और जहां चाहे मेरी शिकायत कर दो। मैं किसी से डरती नहीं हुं। फिर मेरी पत्नी को भेजा तो स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया। जनवरी में हमने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस बात की शिकायत को लेकर आवेदन दिया। लेकिन कोई कार्रवाई प्रिंसीपल पर प्रशासन ने नहीं की। मेरी बेटी इतनी प्रताडि़त हो गई की उसने आत्महत्या तक करने की कोशिश की थी। वहीं शासन बेटी बचाओ और बेटी पढाओ की बात करती है लेकिन मेरी बेटी खुशी को पूरा वर्ष खराब कर दिया। प्रिंसीपल शासन के बेटी बचाओ और बेढ़ी पढाओ के नारे को ही दरकनार कर रही है। हमने इस बात को लेकर डारेक्टर से बात की तो उन्होंने भी कोई सतुष्ट जबाव नहीं दिया।