भोपाल। सूबे की मंडियों में हम्माली का लायसेंस बनवाने पढ़ा-लिखा होना अनिवार्य किया गया है। यहां तक कि हम्माली के लायसेंस के लिए अब ऑनलाइन ही आवेदन हो सकेंगे। ऐसे में हम्माली करने वालों को समझ नहीं आ रहा है कि बोरे ढोने के लिए शारीरिक मजबूती के बजाय मार्कशीट की जरूरत क्यों आन पड़ी है। करोद कृषि मंडी में 300 से ज्यादा हम्माल हैं, जिनके लायसेंस रीन्यूअल होना हंै।
वहीं करीब 150 नए आवेदक भी हैं, जिनके पहली बार हम्माली का लायसेंस बनेंगे। इसके लिए अभी तक आवेदन का प्रोफार्मा भरकर 20 रुपए जमा करने होते थे। इसके बाद सालभर के लिए हम्माली का लायसेंस बन जाता था, पर इस साल से आॅनलाइन सिस्टम लागू किया है। ऐसे में अनपढ़ या मामूली अक्षर ज्ञान वाले हम्मालों को समझ नहीं आ रहा कि कैसे आॅनलाइन फॉर्म भरें?
मनाही के बाद भी शर्तें लागू
हम्माली की दरों में संशोधन एवं 100 किलो के बजाय 50 किलो वजन ही उठाने के मुद्दे पर हम्मालों ने जनवरी में हड़ताल की थी। तब मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक फैज अहमद किदवई के बुलावे पर प्रदेशभर से हम्माल आए थे और समझौता वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त कर दी थी। तब हम्मालों ने लायसेंस के लिए मार्कशीट की अनिवार्यता का मुद्दा उठाया था, तो किदवई ने मार्कशीट की अनिवार्यता खत्म करने के निर्देश दिए थे। बावजूद ऑनलाइन सिस्टम में मार्कशीट की अनिवार्यता लागू होने से फार्म सबमिट नहीं हो पा रहे हैं।
आॅनलाइन शर्तें बनी मुसीबत
वर्ष 2018-19 के लिए हम्माली का लायसेंस बनवाने या रीन्यूअल अब ऑनलाइन ही होगा। इसके लिए कम से कम पांचवी कक्षा की मार्कशीट के साथ ही आधार कार्ड, बैंक की पासबुक और मतदाता परिचय पत्र आदि दस्तावेज भी लगाने होंगे। इन शर्तों को पूरा करना परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि सूबे की मंडियों में अधिकतर हम्माल यूपी से आते हैं, जोकि गर्मियों और सर्दियों में मजदूरी के बाद बरसात आते ही अपने-अपने गांव लौट जाते हैं। यही कारण है कि इनके पास स्थानीय बैंक पास बुक या एड्रेस पू्रफ नहीं मिल पाता। इसके अलावा हम्माली करने वाले बेहद गरीब तबके से आने के कारण पढ़े-लिखे नहीं होते, तो मार्कशीट कहां से लाएं?