बालाघाट।गत शुक्रवार को जिले के मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा के साथ एक निलंबित वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर द्वारा मारपीट किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।इस मामले में सीसीएफ कार्यालय से मिली लिखित शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने सीसीएफ से अभद्रता व जान से मारने की धमकी देने वाले निलंबित वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर के खिलाफ धारा 353,294 506 भादवि के तहत अपराध दर्ज किया है।गौरतलब है कि सीसीएफ कार्यालय में शुक्रवार 8 मार्च की दोपहर उस समय अफरा-तफरा का माहौल उत्पन्न हो गया, जब एक निलंबित वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर और सीसीएफ मोहन मीणा के बीच विवाद हो गया।इस दौरान निलंबित वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर ने सीसीएफ मोहन मीणा के साथ मारपीट की।इस दौरान मौके पर मौजूद डीएफओ,रेंजर सहित अन्य कर्मचारियों ने बीच-बचाव किया। वहीं घटना की जानकारी डायल-100 को दी गई।पुलिस द्वारा निलंबित वनरक्षक को कोतवाली ले जाया गया। इधर,सीसीएफ कार्यालय से लिखित शिकायत कोतवाली में दी गई। जिसके आधार पर कोतवाली पुलिस ने निलंबित वनरक्षक के खिलाफ धारा 353 294,506 भादवि के तहत अपराध दर्ज कर मामले को जांच में लिया।इधर,निलंबित वनरक्षक ने भी कोतवाली में मामले की लिखित शिकायत की है।इस मामले में सीसीएफ मोहन मीणा का कहना है कि मछुरदा बीट में पदस्थ वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर के खिलाफ अवैध उत्खनन के मामले की शिकायत थी।उक्त वनरक्षक को समझाइश दी गई थी।बावजूद इसके वनरक्षक द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया।वहीं उसके द्वारा एक महिला को अनावश्यक रुप से प्रताडि़त किया जा रहा था,जिसकी शिकायत महिला के परिवार वालों ने की थी। इसके अलावा वनरक्षक उमाशंकर गुर्जरकर द्वारा कुछ तथ्य छिपाए जा रहे थे,जिसे विभागीय तौर पर कार्रवाई कर निलंबित कर दिया गया था।शुक्रवार को वह पुन: उक्त महिला को लेकर सीसीएफ कार्यालय पहुंचा।कार्यालय पहुंचकर निलंबित वनरक्षक द्वारा अश्लील गाली-गलौच की जाने लगी। कार्यालय में मौजूद महिलाओं से अभद्रता की। इतना ही नहीं वह उनके कक्ष में घुसने और कुर्सी उठाकर मारने का प्रयास करने लगा।इसी दौरान मौके पर मौजूद विभाग के अन्य अधिकारियों द्वारा बीच बचाव किया गया।और डायल-100 को सूचना दी गई।पुलिस द्वारा उसे लेकर गया।निलंबित वनरक्षक के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है।सीसीएफ मोहन मीणा ने बताया कि उक्त महिला के पति की दो-तीन माह पूर्व ही संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई थी। जिसके चलते महिला के अनुकंपा नियुक्ति का प्रकरण कार्यालय में लंबित है। हालांकि, इस दौरान उक्त महिला ने किसी भी प्रकार की कोई मारपीट या विवाद नहीं की। सीसीएफ ने स्पष्ट कहा कि उनके द्वारा भी कोई मारपीट नहीं की गई है।वहीं निलंबित वनरक्षक उमाशंकर गुर्जर के अनुसार शुक्रवार को हुए मामले में उन्होंने लिखित शिकायत थाने में दी है।उन्होंने बताया कि उनकी सीसीएफ के साथ मारपीट हुई है।जिसकी लिखित शिकायत की गई है, जिसमें बड़े अधिकारी होने के कारण जानमाल का खतरा होने का भी उल्लेख किया गया है। निलंबित वनरक्षक का कहना है कि वे निलंबन की जानकारी प्राप्त करने के लिए सीसीएफ कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान ही सीसीएफ ने उनके साथ मारपीट की।वहीं मौके पर मौजूद अन्य अधिकारियों ने बीच बचाव किया।
क्या कार्यालय में ही महफूज नही वन विभाग के आला अधिकारी
बालाघाट में भारतीय वन सेवा के अधिकारी और मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा के साथ महकमे के ही निलंबित वन रक्षक द्वारा मारपीट किए जाने की घटना के सामने आने के बाद अब वन विभाग के आला अधिकारियों की सुरक्षा पर ही बहस छिड़ गई।पिछले कुछ अरसे में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में वन अधिकारियों पर हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी है।ऐसे में बालाघाट में हुई इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह है कि महकमे का इतने बड़े अधिकारी जब अपने कार्यालय में ही सुरक्षित नही है तो वन क्षेत्र में खनन और वन माफियाओ से लोहा लेने वाले वन अधिकारियों व कर्मचारियों का भगवान ही मालिक है।
इनका कहना है:-
सीसीएफ कार्यालय बालाघाट से एक शिकायत प्राप्त हुई है, जिसमें निलंबित वनरक्षक द्वारा सीसीएफ के साथ अभद्रता कर मारपीट करने का प्रयास किया गया है। लिखित शिकायत के आधार पर निलंबित वनरक्षक के खिलाफ धारा 353,294,506 भादवि के तहत अपराध दर्ज कर मामले को जांच में लिया गया है।वहीं निलंबित वनरक्षक की शिकायत को भी जांच में लिया गया है।
महेंद्र सिंह ठाकुर
थाना प्रभारी
कोतवाली
बालाघाट