AgrasarIndia | भोपाल न्यूज डेस्क
भोपाल के भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने एक अनोखी और क्रांतिकारी पहल की है। अब विद्यार्थी रामचरितमानस की चौपाइयों से भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषय पढ़ सकेंगे। विश्वविद्यालय ने इसे भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान का संगम बताया है।
क्या है खास इस पाठ्यक्रम में?
विश्वविद्यालय ने स्नातक स्तर पर एक नया कोर्स तैयार किया है, जिसमें रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों के ज़रिए वैज्ञानिक अवधारणाएं समझाई जाएंगी। इसमें “हिमगिरि कोटि अचल रघुवीरा…” जैसी चौपाइयों के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण, विद्युत-चुंबकीय बल जैसे सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया जाएगा।
विज्ञान और संस्कृति का अद्भुत संगम
कोर्स में शामिल हैं:
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रामचरितमानस और भौतिक विज्ञान
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रामचरितमानस और रसायन विज्ञान
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रामचरितमानस और जीव विज्ञान
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रामचरितमानस और पर्यावरण विज्ञान
गणित और मेंडेलियन जेनेटिक्स भी समझाई जाएगी
इस पाठ्यक्रम के ज़रिए जटिल गणितीय सूत्रों और रसायन विज्ञान के नियमों को चौपाइयों की मदद से आसान बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को लयबद्ध भाषा में विज्ञान पढ़ने का अनोखा अनुभव मिलेगा।
क्या बोले विश्वविद्यालय अधिकारी?
भोज विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील मंडेरिया ने बताया,
“यह कोर्स विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता को समझने का अवसर देगा। रामचरितमानस के माध्यम से विज्ञान अब और भी सरल और रोचक होगा।”
निष्कर्ष
रामचरितमानस अब सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि विज्ञान को समझने का नया माध्यम बनने जा रहा है। भोज मुक्त विश्वविद्यालय की यह पहल न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार है, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा को विज्ञान से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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