ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने अमेरिका द्वारा ड्रोन गिराए जाने के जवाब में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी और उनकी सेना के आठ शीर्ष सैन्य कमांडरों पर अमेरिका में वित्तीय सुविधाओं का लाभ ख़त्म करने पर कहा की , ‘‘प्रतिबंध लगाने से अमेरिका के साथ राजनयिक संबंध हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी सभी तंत्रों को नष्ट करने में लगे हैं।
’ज्ञात हो की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को ईरान कड़े प्रतिबंध लगाए क्यों के ईरान ने अपने आसमानी क्षेत्र में घूमते अमरीकी जासूसी ड्रोन को मार गिराया था, इससे पहले ट्रम्प ने शुक्रवार को ईरान पर हमला करने के भी आदेश दिए थे। लेकिन, 10 मिनट पहले आदेश वापस ले लिया था।ट्रम्प ने सोमवार को प्रतिबंध लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम ईरान को कभी परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे। हमने अब तक इस मामले में काफी संयम दिखाया, लेकिन आगे ईरान पर दबाव बनाए रखेंगे। जब ट्रम्प से पूछा गया कि क्या यह कदम ईरान के हमले का जवाब है, इस पर उन्होंने हां में जवाब दिया और कहा कि यह तो होना ही था। मैं कुछ ऐसे ईरानियों को जानता हूं, जो न्यूयॉर्क में रहते हैं और अच्छे लोग हैं।
बड़ गयी ईरान और अमेरिका के बीच गहमा गहमी।
अमेरिका ने पिछले दिनों ईरान के मिसाइल कंट्रोल सिस्टम और जासूसी नेटवर्क पर कई बार साइबर हमले किए। इससे पहले ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा था- ‘‘ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते! ओबामा की खतरनाक योजना के तहत वे बहुत ही कम सालों में न्यूक्लियर के रास्ते पर आ गए। अब बगैर जांच के यह स्वीकार्य नहीं होगा। हम सोमवार से ईरान पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब ईरान से प्रतिबंध हट जाएंगे और वह फिर से एक समृद्ध राष्ट्र बन जाएगा।’ इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत माजिद तख्त रवांची ने सोमवार को कहा कि अमेरिका जब तक ईरान को प्रतिबंधों के दबाव की धमकी देता रहेगा, ईरान उसके साथ वार्ता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं।
अमेरिका ने एक बार फिर ईरान पर दबाव डाला है। उसने हम पर और प्रतिबंध लगाए हैं। जब तक उसकी यह रणनीति रहेगी तब तक ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत नहीं हो सकती।”रवांची ने कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए नए प्रतिबंध पश्चिमी एशियाई देश के प्रति उसकी शत्रुतापूर्ण रवैये को दर्शाता है। अमेरिका का यह फैसला ईरान के लोगों और वहां के नेताओं के प्रति उसकी शत्रुता का प्रतीक है। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानून-व्यवस्था का सम्मान नहीं करता है।