भाजपा विधयक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने रिहा कर दिया है, उन पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद रहे और कोई भी आरोप साबित नहीं हो सका मुख्तार अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकॉर्ड पांच बार विधायक चुने गए हैं. अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था.
1996 में अंसारी पहली बार बसपा की टिकट से चुनाव जीते थे. 2002 में और 2007 में उन्होंने निर्दलीय होकर चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की. बाद में 2007 में ही वो फिर से बसपा में शामिल हो गये. उसके बाद बसपा ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी की सीट से लड़ाया, मगर वो असफल रहे.
मगर साल 2010 में आपराधिक गतिविधियों की वजह से बसपा ने अंसारी को पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में मऊ सीट से विधायक चुने गए. 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल का विलय कर दिया गया और बसपा उम्मीदवार के रूप में अंसारी विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार विधायक के रूप में जीते.
अंसारी के लिए 2017 का चुनाव काफी अहम था. क्योंकि इस चुनाव में ‘बाहुबली’ को मात देने के लिए पीएम मोदी ने कटप्पा को चुनावी मैदान में उतारा था. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने मऊ की जनसभा में उन्हें ‘बाहुबली’ कहते हुए कहा था इस ‘बाहुबली’ के खात्मे के लिए उन्होंने अपना ‘कटप्पा’ मैदान में उतारा है. पीएम मोदी ने ‘कटप्पा’ इसलिए कहा था क्योंकि इस सीट पर भाजपा ने राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार महेंद्र राजभर को गठबंधन के तहत उतारा था. मगर बसपा के इस ‘बाहुबली’ मुख्तार ने कटप्पा को 7464 मतों से हराया था.
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में हुआ था. उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी कभी शुरुआत में अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चुके थे. इस तरह से देखा जाए तो मुख्तार अंसारी को राजनीति विरासत में मिली. एक समय तो बसपा प्रमुख मायावती ने अंसारी को गरीबों का मसीहा और रॉबिनहूड तक कहा था.