मध्य प्रदेश के 500 से ज्यादा सरकारी कॉलेजों को अब जल्द असिस्टेंट प्रोफेसर्स मिल सकेंगे। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर जनवरी से लगी रोक सोमवार को हुई सुनवाई के बाद हटा ली। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस विशाल धगट की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि नियुक्ति प्रक्रिया में दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम 2016 के नियम 34 का पालन सुनिश्चित किया जाए।
मामला दिव्यांग कोटे में निर्धारित मात्रा से अधिक आरक्षण देने से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने नियुक्ति के लिए जारी पुरानी चयन सूची को खारिज करते हुए सरकार को निर्देश दिए कि 15 जुलाई तक आरक्षण नियम का पालन करते हुए नई चयन सूची जारी की जाए। राकेश कुमार तोमर सहित अन्य ने याचिकाएं दायर कर बताया था कि मप्र लोक सेवा आयोग ने अगस्त 2018 में भर्ती प्रक्रिया पूरी कर सरकार को चयन सूची दे दी थी। तीन दशक से भर्ती नहीं हुई।
याचिकाकर्ताओं ने कहा था- सामान्य उम्मीदवारों का हक मारा गया
इस मामले में प्रभारी महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कोर्ट में इस बात को स्वीकार किया कि आरक्षण देने में त्रुटि हुई है। दिव्यांगों को स्वीकृत पदों के तहत आरक्षण दे दिया गया, जबकि विज्ञापित पदों पर दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि नई सूची में दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम 2016 के नियम 34 का पालन किया जाएगा।
दिसबंर 2017 में जारी हुआ था विज्ञापन : पीएससी ने दिसंबर 2017 में विज्ञापन जारी किया थाा। परीक्षा जून-जुलाई 2018 में हुई। इसी साल अगस्त महीने में रिजल्ट घोषित किए गए। वहीं चयनित 2539 उम्मीदवारों का वेरीफिकेशन हो चुका है। इसमें से 2536 उम्मीदवारों के प्रकरण में किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है। इस निर्णय के बाद इनको नियुक्ति आदेश देने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है