आपातकाल के 44 साल पहले पूरे होने पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जहा संघर्ष के सेनानियों को याद किया, तो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश में उथल पुथल की स्थिति बनाने के लिए भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा की देश पिछले पांच सालों से एक महाआपातकाल से गुजर रहा है। हमें लोकतंत्र की प्रतिष्ठा के लिए लड़ना चाहिए।
मोदी ने इमरजेंसी का एक वीडियो ट्वीट किया। इसके साथ लिखा- ”देश उन सभी सेनानियों को सलाम करता है जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। हमारा लोकतांत्रिक विचार एक अधिनायकवादी मानसिकता पर पूरी तरह हावी रहा था।” शाह ने लिखा, ”1975 में आज ही के दिन मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए लोकतंत्र की हत्या की गई। देशवासियों से उनके मूलभूत अधिकार छीन लिए गए, अखबारों पर ताले लगा दिए गए। लाखों राष्ट्रभक्तों ने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए यातनाएं सहीं। उन सभी सेनानियों को मेरा नमन।”
25 जून 1975 में आपातकाल की घोषणा हुई, जो 21 महीने बाद 21 मार्च 1977 को खत्म हुआ था। तब फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। राष्ट्रपति ने इंदिरा की सलाह पर ही देश में धारा 352 के तहत आपातकाल लागू किया था। उस समय जेपी कृपलानी, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, लालकृष्ण आडवाणी और अशोक मेहता समेत कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया।