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गृहमंत्री द्वारा कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने की मांग, कांग्रेस ने विरोध किया, कहा हर इंसान को सामान्य जीवन जीने का हक़ है।

केंद्रीय ग्रहमंत्री ने लोकसभा में प्रस्ताव पेश किया है की जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बड़ाया जाए। इस दौरान शाह ने कहा कि रमजान, अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने बाद में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। इस साल के अंत तक वहां चुनाव कराए जाएंगे। शाह ने कश्मीर में सीमा के पास रहने वाले लोगों को आरक्षण देने का प्रस्ताव भी रखा।

शाह ने कहा, ‘‘विधायकों की खरीद-फरोख्त की शिकायत के बाद राज्यपाल ने 21 नंवबर 2018 विधानसभा को भंग कर दिया था। 20 दिसंबर 2018 से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। इसे 3 जनवरी 2019 राज्यसभा से मान्यता प्राप्त हुई। 2 जुलाई को राष्ट्रपति शासन खत्म हो रहा है। ऐसे में मेरी आपसे मांग है कि इसे छह महीने के लिए बढ़ाया जाए।’’

‘कश्मीर में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई’

शाह ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार नहीं है कि यहां राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि कानून में संशोधन किया गया। राज्य में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। सरकार ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक साल के अंदर वहां पंचायत चुनाव कराए गए। 40 हजार पंच और सरपंच बने, जो आज काम कर रहे हैं। हम 3 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को देने के लिए तैयार हैं।’’

सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान
शाह ने कहा, ‘‘हमने जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षण कानून में संशोधन के तहत राज्य के कमजोर, पिछड़ा वर्ग और अंतराष्ट्रीय सीमा के करीब रहने वाले लोगों के लिए नए सिरे से आरक्षण का प्रावधान किया है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को शेल्टर होम में रहना पढ़ता है। कई दिनों तक बच्चों को यहां रहना पड़ता है। स्कूल बंद रहते हैं। उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जा रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर के साढ़े तीन लाख लोगों को फायदा होगा। यह आरक्षण कानून में संशोधन का प्रस्ताव किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों के हितों के लिए है।’’

कांग्रेस का सलाह

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर कांग्रेस ने विरोध किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘हमें आरक्षण पर आपत्ति नहीं है, लेकिन यह जिस तरीके से दिया जा रहा है, इस पर आपत्ति है। मैं भी सीमा क्षेत्र से ही आता हूं, इसलिए इसे अच्छे से समझ सकता हूं। आज जम्मू-कश्मीर में हर 6 महीने में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के हालात हैं तो इसकी जड़ें भाजपा-पीडीपी गठबंधन में थीं। आरक्षण सिर्फ चुनावी फायदे के लिए दिया जा रहा है।’‘‘आतंकवाद के खिलाफ जंग में हम आपके के साथ हैं। यह भी ध्यान रखना होगा कि आप आतंकवाद से तभी लड़ पाएंगे, जब कश्मीर के लोग आपके साथ होंगे।’’

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