खातेगांव तहसील के जामनेर के 8 वर्षीय बालक असलम पिता इब्राहिम खां को शुक्रवार देर रात तेज बुखार आया। परिवार ने गांव के ही बंगाली डॉक्टर से इसका इलाज करवाया। लेकिन रात में बुखार नहीं उतरा और उल्टियां शुरू हो गईं। शनिवार सुबह परिजन बालक को खातेगांव सरकारी अस्पताल लेकर आये, बच्चा बेहोशी की हालत में और सीरियस था। डॉ. चम्पा बघेल ने उसे प्राथमिक उपचार देकर हरदा रैफर किया,हरदा जिला चिकित्सालय में बालक को एडमिट ही नहीं किया, डॉक्टरों ने कहा मामला गम्भीर है, इसका इलाज यहां सम्भव नहीं है। आप इसे किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में या इंदौर ले जाओ। परिजनों ने बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए हरदा के पल्स हॉस्पिटल में दिखाया। बच्चे के लक्षण देखते हुए डॉक्टर्स को यह चमकी बुखार लग रहा था। बच्चे की खून की जांचे करवाई। जिसमें प्लेटलेट्स कॉफी कम मात्रा में थे। कुछ घंटे इलाज करने के बाद वेंटिलेटर और जरूरी अन्य मशीनों की सुविधा नहीं होने के कारण यहां से भी डॉक्टर्स ने इंदौर ले जाने की सलाह दी।
परिजन की आपबीती
खातेगांव से जिला अस्पताल और वहां से पल्स हॉस्पिटल तक सरकारी एम्बुलेंस ने छोड़ दिया था। 4500 रुपए हॉस्पिटल में और 1 हजार रुपए पैथोलॉजी में लग गए। आगे इलाज के लिए परिजन के पास रुपयों की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए उसे ऑटो से अपने गांव जामनेर ले आए और सिर पर गीली पट्टी रखकर उसके बुखार उतारने की कोशिश करने लगे। गांव के पूर्व सरपंच मनीष पटेल, कन्नौद जनपद अध्यक्ष ओम पटेल और सुनील यादव को इसकी जानकारी लगी तो एम्बुलेंस लेकर जामनेर पहुंचे, कुछ रुपए दिए और उसे इंदौर एमवाय अस्पताल भिजवाया। रात 8:15 बजे इंदौर पहुंचने के बाद बच्चे को वहां एडमिट कर इलाज शुरू हो गया है। बच्चे की हालत स्थिर है।
– जैसा कि बच्चे की मां शानू, दादी समीना और मामा हलीम ने बताया
वो लक्षण जो चमकी बुखार के मामलों में देखे गए
बेहोशी आना
अचानक तेज बुखार आना
जी मिचलाना और उल्टी होना
बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना
मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)
असलम की ब्लड रिपोर्ट
हीमोग्लोबिन: 8.8 (11-15.5)
प्लेटलेट काउंट: 0.99 लाख (1.80-4.00 लाख)
WBC काउंट: 19400 (5000-13000)