नई दिल्ली. पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि रेवेन्यू बढ़ने पर जीएसटी के 12% और 18% के स्लैब मर्ज किए जा सकते हैं। इस तरह जीएसटी को द्वि-स्तरीय बनाया जा सकता है। लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं को छोड़ 28% का स्लैब लगभग खत्म हो चुका है।
जीएसटी की दरें घटाने से बीते 2 साल में 90 हजार करोड़ रु. का घाटा हुआ: जेटली
जीएसटी के 2 साल पूरे होने पर जेटली ने सोमवार को फेसबुक पोस्ट में कहा कि 20 राज्यों के रेवेन्यू में पहले ही 14% इजाफा हो चुका है। जीएसटी लागू होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अब उन्हें केंद्र के कंपेनसेशन की जरूरत नहीं है।
जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं से जुड़ी ज्यादातर वस्तुएं 18%, 12% और 5% के स्लैब में भी लाई जा चुकी हैं। बीते 2 साल में जीएसटी काउंसिल ने कई बार टैक्स की दरें घटाईं, जिससे सरकार को 90 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का घाटा हुआ।
जेटली का कहना है कि लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं को छोड़कर 28% का स्लैब लगभग खत्म हो चुका है। सभी श्रेणियों में टैक्स की दरें एकदम घटाने से भारी राजस्व का घाटा हो सकता था। इसलिए, यह काम चरणबद्ध तरीके से किया गया।
जीएसटी को लागू हुए 2 साल हो गए हैं। एक जुलाई 2017 को 17 स्थानीय टैक्स खत्म कर देशभर में जीएसटी लागू किया गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष थे। सेहत का हवाला देते हुए नई सरकार में उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था।