खंडवा !! मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट हमेशा से चर्चाओं में रही है क्षेत्रफल की दृष्टि से सम्भवतः यह प्रदेश की सबसे बड़ी लोकसभा भी है जो महाराष्ट्र की सीमा से आरंभ होकर देवास जिले तक जाती है , निमाड़ के नाम से जाने जानी वाली खंडवा लोकसभा पर 9 बार कांग्रेस तो 6 बार भाजपा व 1 बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है ! इस लोकसभा में खंडवा, मान्धाता, पंधाना, बुरहानपुर, नेपानगर, बड़वाह, भीकनगांव, व बागली विधानसभा क्षेत्र आते है वर्तमान में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान यहाँ से सांसद है और उनके नाम सबसे अधिक 5 बार इस सीट पर जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी है
परन्तु इस बार खण्डवा लोकसभा सीट पर भाजपा की राह आसान नजर नही आ रही बात यदि 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो खंडवा लोकसभा की 8 विधानसभाओं में से सभी विधानसभाएं भाजपा के कब्जे में थी !जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में हुआ और नंदकुमार सिंह चौहान ने कांग्रेस के अरुण यादव को 259272 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी परंतु अब स्थिति कुछ और है !हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 में से 5 विधानसभा सीट भाजपा से छीनी है साथ ही राज्य में कांग्रेस की सरकार होने से भी कांग्रेस इस बार मजबूत दिखाई दे रही है ,बात यदि दावेदारों की करें तो दोनों ही दलों में दावेदारों की फेहरित लम्बी है, परंतु कांग्रेस और भाजपा के पास जिताऊ चेहरे के नाम पर केवल एक एक ही उम्मीदवार का नाम है! जिसमे कांग्रेस से पूर्व पीसीसी चीफ़ व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव तो भाजपा से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान शामिल है!
खंडवा संसदीय सीट का इतिहास :- खंडवा लोकसभा के क्षेत्र की यदि बात करें तो इसमें खण्डवा की 3 खण्डवा, पंधाना, व मान्धाता विधानसभा बुरहानपुर जिले की बुरहानपुर, नेपानगर खरगोन जिले की बड़वाह, भीकनगांव व देवास जिले की बागली विधानसभा आती है, आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा देखा गया! 1951 में देश मे सम्पन्न में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लगातार 1971 में सम्पन्न पांचवे लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करती रही परन्तु वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी परमानंद गोविंजीवाला ने कांग्रेस के गंगाचरण दीक्षित को हराकर इस सीट को कांग्रेस से छीनी थी वर्ष 1980 व 1984 के लोकसभा चुनाव में पुनः कांग्रेस इस सीट पर काबिज रही 1989 में एक बार फिर यह सीट भाजपा के खाते में गई ,जहाँ भाजपा के अमृतलाल तारवाला ने कांग्रेस के कालीचरण सकरगाए को हराया 1991 के दसवे लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के पास वापस आई जिसमे कांग्रेस के प्रत्याशी ठाकुर महेंद्र सिंह ने भाजपा के अमृतलाल तारवाला को हराया था परंतु वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004, में सम्पन्न हुए !लोकसभा चुनाव में इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा और भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान इस सीट पर लगातार चार बार जीत करने वाले पहले सांसद बने 2004 तक इस सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा था साथ ही सांसद नंदकुमार सिंह चौहान की साफ़ छवि व मिलनसारिता के चलते भाजपा इस सीट को सबसे सुरक्षित सीट मानने लग गई थी वर्ष 2009 के लोकसभा के चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान के सामने कांग्रेस के अरुण यादव मैदान में उतरे और अपने पिता सुभाष यादव के मार्गदर्शन व चुनाव प्रबंधन से इस सीट पर जीत दर्ज की परन्तु वर्ष 2014 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में एक बार पुनः इस सीट पर भाजपा ने बाजिमारी व यहाँ से एक बार फिर नंदकुमार सिंह चौहान विजय हुए उन्होंने अप्रत्याशित तरीके से कांग्रेस के अरुण यादव को 259272 मतों से हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की ! जो कि पुन 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अरुण यादव चुनाव मैदान में हैं !
भाजपा के पॉजिटिव पहलू :-
1 खंडवा सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा है साथ ही वर्तमान सांसद नंदकुमार सिंह चौहान की साफ सुथरी छवि है कभी उन पर कोई आरोप नही लगे प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपनी टीम को मजबूत करने का काम किया जिसका परिणाम है, कि सरपंच से लेकर महापौर जिला पंचायत जनपद पंचायत तक भाजपा को काबिज किया !
भाजपा के नकारात्मक पहलू :-
हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस लोकसभा सीट की 8 में से 5 विधानसभा सीट गवा दी है !जबकि 2014 लोकसभा चुनाव के समय यह सभी सीटें भाजपा के कब्जे में थी साथ ही इस हार का कारण वर्तमान सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को माना जा रहा है ,यही कारण है कि भाजपा की आपसी गुटबाजी बढ़ गई है ,चुनाव में हार का सामने करने वाले प्रत्याशी खुलकर पार्टी में नंदकुमार सिंह चौहान का विरोध कर रहे है साथ ही कर्ज माफी के चलते किसानों में कांग्रेस के प्रति उत्साह है, जिसका चुनाव पर असर देखने को मिलेगा!
कांग्रेस के पॉजिटिव पहलू :-
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने निमाड़ में अच्छा प्रर्दशन किया है ! यही कारण है कि खंडवा लोकसभा की 8 में से 5 विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है ,किसान कर्ज माफ़ी जैसी योजनाओं ने भी निमाड़ में कांग्रेस को मजबूती मिली है !
खंडवा लोकसभा के प्रमुख मुद्दे जो 2019 के चुनाव को प्रभावित कर सकते है
1— वर्ष 1996 से लगातार यहाँ पर भाजपा का कब्जा रहा मात्र 2009 के चुनाव में भाजपा को यहाँ सिखस्त का सामना करना पड़ा था बावजूद इसके इस क्षेत्र में कोई उद्योग नही लग पाया जिससे जनता में नाराजगी है यहाँ के युवा रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर है!
2 — नोटबन्दी व जीएसटी के कारण व्यापारी वर्ग खासा परेशान हुआ है जिससे भाजपा सरकार के प्रति इनमें आक्रोश है!
3 — खंडवा लोकसभा के बुरहानपुर जिले में मौसम के कारण हजारों एकड़ केला फसल बर्बाद हो गई थी जिसका मुवावजा सरकार ने देने का वादा तो किया पर अब तक किसानों को मुवावजा नही मिल पाया जिसको लेकर किसान भाजपा सरकार से नाराज है!
4 — एशिया की सबसे बड़ी अखबारी कागज की फैक्ट्री नेपा मिल बंद होने की कगार पर है भारत सरकार व पूर्व की शिवराज सरकार ने इस मिल को पैकेज देने व चालू करने का वादा तो किया परन्तु अब तक अपने वादे को अमल नही किया यही कारण है कि यहाँ के लोग लम्बे समय से वेतन के लिए भी तरस रहे है जिससे लोगों में खासी नाराजगी है!
5 — ग्रामीण अंचलों सहित लोकसभा से गुजरने वाले इंदौर इच्छापुर राज्यमार्ग की हालत काफी खराब है जिसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है!
6 — स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस क्षेत्र में कोई खास काम नही हुए है यही कारण है कि छोटी छोटी बीमारियों में भी लोगों को इंदौर जाकर इलाज कराना पड़ता है ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य केंद्र तो है परंतु डॉक्टर न होने के कारण मरीजो को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है!
7 — खंडवा व बुरहानपुर में पीने के पानी की किल्लत भी इस लोकसभा चुनाव में मुद्दा रहेगी वर्षो से पेयजल योजना पर काम करने की बात तो की जा रही है परंतु धरातल पर यह योजनाएं उतर नही पाई है जिस कारण आम जनता में रोष है!
8 — सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अतिमहत्वकांशी योजना के तहत जो गांव गोद लिया था उसका हाल बद से बदतर हो गया है उनके द्वारा खंडवा जिले में आरूद नामक गाँव को गोद लिया था जिसमे सांसद महोदय मूलभूत सुविधाएं तक जनता को नही दे पाए यहाँ की जनता रोड़, पानी, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रही है!
सांसद जी द्वारा बुरहानपुर जिले में एमागिर्द नामक गांव को भी गोद लिया गया जो जनसंख्या के मान से प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत भी है यहाँ विकास होना तो दूर पर यहाँ विकास के नाम पर भ्रष्टाचार अधिक हुआ यहाँ न तो नालियों का निर्माण हो पाया और न ही रोड़, पानी की सुविधा यही कारण है कि यह गांव भी अधोसंरचना के लिए सांसद जी का बस इंतजार ही करता रह गया!
9 — खंडवा जिले के कई गांव आज भी ऐसे है जहाँ न तो बीएसएनएल की लैंडलाइन पहुँच पाई है और न ही निजी कम्पनी का कोई मोबाईल यहां के लोग आज भी कई किलोमीटर दूर आकर अपने रिश्तेदारों से बात कर पाते है आकस्मिक स्थति में मोबाइल न होने के कारण कई बार यहाँ के लोगो की जान पर तक बन जाती है!
10 —- पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के द्वारा बड़वाह के मध्य से निकलने वाले स्टेट हाइवे का बायपास बनाने का वादा किया था जो अब तक अधूरा है!
11 — बड़वाह में कई औद्योगिक कारखाने संचालित है परंतु शासन की उदासीनता के चलते कई उद्योग बंद होने की कगार पर आ गए है जिस कारण सैकड़ो लोगों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है विगत 5 वर्षों में इस औद्योगिक क्षेत्र में एक भी नया उद्योग आरम्भ नही हो पाया जिस कारण लोगों में सांसद के प्रति रोष है!
12 — लोकसभा की जीवन दायनी नर्मदा नदी व ताप्ती नदी से अवैध रेत का उत्खनन भी एक बड़ा मुद्दा है बड़वाह क्षेत्र में सांसद के करीबियों के द्वारा ही अवैध रेत का खनन करने के भी आरोप लगते रहे है !
13 निमाड़ के दो दिग्गज पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने कांग्रेस से अरुण यादव लोकसभा प्रत्याशी बीजेपी से नंदकुमार सिंह चौहान लोकसभा प्रत्याशी दोनों ही भीषण गर्मी में आम जनता से रूबरू होकर वोट बटोरने में लगे हैं ,दूसरी बार मंदिरों में पूजा-अर्चना करते नजर आ रहे हैं एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं ,जनता किस किस पर विश्वास रखती है और किसे अपना सांसद सुनेगी यह तो 23 मई को परिणाम सामने आएंगे!