Bhopal

भोपाल:संसद को आतंक का अड्डा बनाना चाहती है भाजपा -अमित शाह, प्रज्ञा ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय की उम्मीदवारी पर उठे सवाल

भोपाल :खुद को देश की लीडिंग राजनीतिक पार्टी कहने वाली भाजपा एक तरफ आतंक के खिलाफ परचम उठाए फिरने का ढिंढोरा पीटती है, दूसरी तरफ ऐसे लोगों को संसद में भेजने की तैयारी कर रही है, जिनपर देश को आतंक की आग में झोंकने के गंभीर आरोप हैं। अमित शाह, प्रज्ञा ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय इस बात के प्रमाण हैं, जिन्हें भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। साम्प्रदायिकता की सीढिय़ां चढ़कर आगे बढऩे को आतुर भाजपा में अब नेताओं की प्रोफाइल इस बात से तैयार की जाती है कि किसी व्यक्ति पर कितने ज्यादा संगीन आरोप हैं।

देशभर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के एक दल ने गुरूवार को राजधानी भोपाल में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान यह बात कही। राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष डॉ. सुरेश खैरनार ने भोपाल संसदीय क्षेत्र से प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाए जाने पर घोर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा हत्या और बम धमाकों की आरोपी हैं, उन्हें फिलहाल स्वास्थ्य के आधार पर महज जमानत मिली है, किसी तरह का आरोप उनपर से हटाया नहीं गया है और न ही अदालत ने उन्हें किसी मामले में बरी किया है। ऐसे गंभीर मामले के आरोपी को अपना उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने अपनी मानसिकता जाहिर कर दी है। खैरनार ने कहा कि भाजपा ने सिर्फ प्रज्ञा ठाकुर ही नहीं, बल्कि अमित शाह और मेजर रमेश उपाध्याय जैसे लोगों को भी अपना प्रत्याशी बनाया है, जिनपर कई गंभीर मामले अदालतों में प्रचलन में हैं।
प्रदेश में ही रची गई थी धमाकों की साजिश
डॉ. खैरनार ने दस्तावेजों के साथ इस बाद का दावा किया कि मालेगांव धमाके की साजिश मप्र के विभिन्न शहरों में बैठकें करके ही रची गई थी। उन्होंने बताया कि 11 और 12 अप्रैल 2008 को भोपाल में हुई बैठक में प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडेय, सुधीर चतुर्वेदी मौजूद थे। इस दौरान मौजूद सभी लोगों ने ब्लास्ट को लेकर अलग-अलग जिम्मेदारियां अपने ऊपर ली थीं। खैरनार ने बताया कि इसके बाद अगली मीटिंग 11 जून 2008 को इंदौर के रेस्ट हाउस में हुई, जिसमें प्रज्ञा अपने भरोसे के दो लोगों रामचंद्र कालसंगरा और संदीप डांगे को लेकर पहुंची थीं। इसके बाद इंदौर, उज्जैन, पुणे आदि में भी लगातार बैठकों का दौर चला और बम धमाके की साजिश को अंजाम दिया गया। इन सभी बैठकों की ऑडियो और वीडियो रिकार्डिंग चार्जशीट में भी मौजूद है।

संविधान को मानने से किया प्रज्ञा ने इंकार

डॉ. खैरनार ने पत्रकारवार्ता में कहा कि भोपाल बैठक के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने भारतीय संविधान को नकारते हुए देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भी मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने इस्राइल और नेपाल को एक्साइल गर्वमेंट की इजाजत के लिए चिठ्ठी भी लिखी थीं।

दिखावे की बीमार प्रज्ञा

पत्रकारवार्ता में मूल निवासी मंच महाराष्ट्र के अध्यक्ष अंजुम ईनामदार, येर्नालेराष्ट्र सेवालदल कर्नाटक के आप्पासाहेब, गुलबर्गा कर्नाटक पूर्व विधान परिषद उपाध्यक्ष बीआर पाटिल, पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम, राष्ट्रीय एकता मंच के डॉ. लज्जाशंकर हरदेनिया, अलीबाबा लोहिया, डॉ. रागिब अहमद आदि भी मौजूद थे। इन्होंने प्रज्ञा को दिखावे का बीमार बताते हुए कहा कि प्रज्ञा व्हीलचेयर पर बैठकर नामांकन दाखिल करने जाती है, शाम को किसी कार्यक्रम में ठुमके लगाते नजर आती हैं और अपने प्रचार अभियान में मोटर साइकिल पर बैठकर घूमती दिखती हैं। उन्होंने कहा कि जितना उनका साध्वी होने का स्वांग है, उतनी ही झूठी उनकी बीमारी है। सामाजिक संगठनों ने इस बात को स्पष्ठ किया कि वे किसी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने नहीं आए, बल्कि देश की संसद पर प्रज्ञा जैसे लोगों से लगने वाले कलंक को रोकने की अपील लेकर आए हैं।

गोडसे पहला आतंकवादी

सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने आतंकवाद को किसी रंग विशेष में बांधने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि आतंक का न कोई मजहब होता है और न ही उसका कोई रंग। उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड़से को आतंकवादी करार दिया। उन्होंने बाबरी मस्जिद शहीद करने वाले गुनाहगारों की तुलना भी आतंकियों से की।

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