पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा के बीच किसी प्रकार की सुलह होती नजर नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिट्ठी लिखकर ममता को 15 जून को होने वाली नीति आयोग की बैठक में आने का निमंत्रण दिया। इस पर ममता ने जवाब देते हुए बैठक में आने से इनकार कर दिया। ममता ने शुक्रवार को कहा कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। साथ ही आयोग के पास राज्य की योजनाओं को समर्थन देने का भी अधिकार नहीं है, लिहाजा बैठक में मेरा आना बेकार है।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को नीति आयोग का पुनर्गठन किया था। राजीव कुमार आयोग के उपाध्यक्ष बने रहेंगे। इसके अलावा वीके सारस्वत, वीके पॉल और रमेश चंद को फिर से सदस्य चुना गया। गृह मंत्री अमित शाह पदेन सदस्य बनाए गए हैं। शाह के अलावा राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पदेन सदस्य के तौर पर शामिल रहेंगे। योजना आयोग के स्थान पर 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन किया गया था।
‘दुर्भाग्य से नीति आयोग का गठन हुआ’
ममता ने ये भी लिखा, ‘‘दुर्भाग्य से बगैर किसी आकलन और वित्तीय अधिकारों के योजना आयोग की जगह 2015 में नीति आयोग का गठन हुआ। इस नए आयोग में राज्यों की वार्षिक योजनाओं को समर्थन देने संबंधित अधिकारों का अभाव है। नीति आयोग के साथ मेरा पिछले साढ़े चार साल का अनुभव है। यह राज्यों की योजनाओं के लिए निराधार है।’’ इससे पहले भी ममता ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था।