Bhopal

मुसलमानों के वोट चाहिएं, उनकी भावनाओं की कद्र नहीं : रामेश्वर शर्मा

विधायक रामेश्वर शर्मा ने उठाया रमजान में चुनाव पर सवाल

भोपाल :सियासी दल मुसलमानों के वोट लेना तो चाहते हैं लेकिन उनकी भावनाओं की कद्र उन्हें नहीं है। माह-ए-रमजान के दौरान होने वाले चुनाव को लेकर सर्वदलीय बैठक में बात उठाई जाना चाहिए थी, उस पर एतराज किया जाना था और तारीखों को आगे-पीछे किया जाना था लेकिन आश्चर्य है कि किसी दल ने इस बारे में कोई बात ही नहीं की।

राजधानी भोपाल की हुजूर विधानसभा के विधायक रामेश्वर शर्मा ने यह सवाल उठाया है। उनका कहना है कि कोई भी त्यौहार या उत्सव चुनाव प्रक्रिया से बढ़कर है। रमजान की पवित्र माह इबादत, तिलावत और नमाज-रोजों का महीना है, जिसके साथ चुनावी भागदौड़ का घालमेल कई परेशानियां ला सकता है। चुनाव की तारीखों को लेकर सभी दलों को एक सुर में आवाज उठाकर विरोध दर्ज कराया जाना चाहिए था, लेकिन सर्वदलीय बैठक के दौरान न किसी सियासी पार्टी ने न चुनाव आयोग ने इस बात का ख्याल रखा कि इन्हीं तारीखों में मुसलमानों का पवित्र रमजान माह जारी रहेगा। शर्मा ने कहा कि इसका नुकसान सियासी पार्टियों को कम मतदान और प्रचार के दौरान लोगों की कम मौजूदगी के रूप में उठाना पड़ सकता है।

शर्मा के बयान पर आश्चर्य

घोर हिन्दूवादी नेता माने जाने वाले रामेश्वर शर्मा द्वारा मुस्लिम समाज के लिए कही जाने वाली बात को लेकर आश्चर्य के हालात बनने लगे हैं। हमेशा अपनी कटु बातों से मुस्लिमों को कटघरे में खड़ा करने वाले रामेश्वर के मुस्लिम हितैषी बयान को किसी राजनीतिक गठजोड़ से जुड़ा माना जा रहा है। हालांकि कई मुस्लिम नेताओं ने उनके इस बयान की सराहना करते हुए बयान का स्वागत किया है।

लोग बोले

माह-ए-रमजान में मुस्लिम समाज की कई मसरूफियतें होती हैं। ऐसे में ऐन रमजान में चुनाव प्रोग्राम तय किया जाना पूरी तरह गलत है। मुस्लिम समाज से वोटों की अपेक्षा रखने वाली सियासी पार्टियों को इसका विरोध करना चाहिए था।काजी अनस नदवी,प्रदेशाध्यक्ष,
ऑल इंडिया उलेमा कौंसिल

चुनाव का प्रोग्राम बहुत पहले तय किया जा चुका था। रमजान की तारीखें भी पहले से विदित थीं। मुस्लिम समाज को चुनाव माहौल से दूर रखने और उनके मतदान प्रतिशत को कम किए जाने की साजिश कहा जा सकता है, इस चुनाव कार्यक्रम को।
जफर आलम खान,वरिष्ठ पत्रकार

चुनाव महाकुंभ में सभी जात, धर्म, मजहब, समाज, वर्ग की भागीदारी जरूरी है। यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार भी है और इसमें शामिल होना हमारा कर्तव्य भी। मुस्लिम समाज को चुनाव प्रक्रियाओं में शामिल होने से रोकने का तरीका है कि इसका आयोजन रमजान माह के दौरान किया जा रहा है। सर्वदलीय बैठक में इस बात को लेकर विरोध किया जाना चाहिए था।
पं. श्याम मिश्रा,
प्रदेश सलाहकार,
अभा ब्राह्मण समाज

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