Bhopal

लालची फिर तैयार, सरकारी राहत पर डाके की तैयारी -निकाह योजना के लिए तलाशे जा रहे नए शादीशुदा जोड़े

भोपाल:एक, दो साल पहले निकाह की रस्म पूरी कर चुके और घर बसा चुके जोड़ों के लिए एक बार फिर से शादी का लालच राजधानी के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में फैला हुआ है। हाल ही में शादी के बंधन में बंधे लोगों को इस ऑफर में खास प्राथमिकता दी गई है। इस प्रस्ताव को स्वीकार करने वालों को 20 से 25 हजार रुपए का नजराना दिए जाने की लालच का कटोरा भी सामने रख दिया गया है।

मुख्यमंत्री विवाह-निकाह योजना की राशि में इजाफा होने के बाद से राजधानी में फर्जी निकाह की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है। कुछ लालचखोर स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस फर्जीवाड़े का परचम उठा रखा है। नगरीय प्रशासन अपने लक्ष्य के आंकड़ों को पूरा करने के लिए दस्तावेजों की जांच किए बिना ही संस्थाओं द्वारा पेश किए जाने वाले विवाह-निकाह प्रस्तावों को स्वीकार भी कर रहे हैं और इसकी राशि जारी करने में भी कोताही नहीं कर रहे हैं।

मामला आधे-आधे का

सूत्रों का कहना है कि स्वयंसेवी संस्थाएं विवाह-निकाह योजना की राशि में गोंडोबल करने की नीयत से ये फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। बताया जाता है कि इसके लिए वे शादीशुदा जोड़ो को सम्मेलनों में शामिल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योजना से मिलने वाली 51 हजार की राशि की आधी रकम उन जोड़ों को दे रहे हैं, जो शादीशुदा होने के बावजूद दोबारा निकाह-विवाह करने को राजी हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि स्वयंसेवी संस्थाओं के लालच के इस कारोबार में कई जोड़ों के दो से भी ज्यादा बार निकाह करवाए जा चुके हैं।

ग्राहक लाने वाले को भी इनाम

राजधानी में संचालित एक एनजीओ डिलाइट एजुकेशन सोसायटी ने पिछले दिनों सामूहिक निकाह सम्मेलन आयोजित किया था। सूत्रों का कहना है कि इस आयोजन में बड़ी संख्या में फर्जी जोड़े शामिल किए गए थे। संस्था सदस्यों से लेकर संचालक याक़ूब खान के परिवार के लोग तक इसमे शामिल कर दिए गए थे। इसी संस्था द्वारा जून माह में फिर सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। बताया जाता है कि संस्था संचालक ने इस सम्मेलन में ज्यादा जोड़ो को शामिल करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं की टीम बाजार में उतार दी है। फर्जी और शादीशुदा सदस्यों की तादाद लाने वाले व्यक्ति को संस्था द्वारा 3 से 5 हजार रुपए तक ईनाम दिया जा रहा है।

दोबारा निकाह शरई तौर पर गलत

निकाह सुन्नत है, इसकी अदायगी इस्लाम में जरूरी है। लेकिन बदनीयत और बिना जरूरत दोबारा निकाह किए जाने को गैर शरई करार देते हुए इस्लामी विद्वान इसे गलत करार देते हैं। उनका कहना है कि नेक नीयत के साथ जहां एक बार निकाह किया जाना सवाब की वजह बन सकता है, वहीं किसी तरह के धोखे की नीयत से किया जाने वाला निकाह अजाब की वजह भी बन सकता है।

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