भोपाल :राजधानी स्थित जिला मुतवल्ली कमेटी औकाफ-ए-आम्मा के कारनामों को लेकर वक्फ बोर्ड प्रशासन द्वारा की गई कानूनी कार्यवाही के बाद प्रदेशभर की कमेटियों के पदाधिकारियों में खलबली का माहौल बना हुआ है। वहीं राजधानी में कार्यरत रहीं पूर्व जिला मुतवल्ली और जिला वक्फ कमेटियों के नियमविरुद्ध कामों पर भी शक की सूई घूमने लगी है। इसे वक्फ बोर्ड प्रशासन ने जांच के घेरे में लेते हुए इनके कार्यकाल की विभिन्न किरायादारियों, आवंटन आदि पर नजर दौड़ाना शुरू कर दिया है। वक्फ बोर्ड की मंशा अल्लाह की जायदाद में बेईमानी करने वालों को सजा देने और इससे एक तहरीर कायम करने की है। ताकि भविष्य में आने वाली कमेटियों और उनके ओहदेदारों द्वारा वक्फ जायदाद को नुकसान न पहुंचाया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा शासनकाल में राजधानी स्थित जिला मुतवल्ली कमेटी औकाफ-ए-आम्मा और जिला वक्फ कमेटी में सियासी लोगों को पदाधिकारी बनाया गया था। इनमें मुतवल्ली कमेटी की बागडोर मरहूम एडवोकेट सुल्तान अब्दुल अजीज के हाथों सौंपी गई थी, जबकि जिला वक्फ कमेटी का प्रभार अलीम कुरैशी के हाथों दिया गया था। दोनों कमेटियों में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 12 से 14 पदाधिकारी प्रत्येक कमेटी में शामिल थे। बताया जाता है कि यह सभी नियुक्तियां राजनीतिक आधार पर की गई थीं, जिन्हें लेकर बाद में न्यायालयीन आदेश भी जारी हुआ था कि वक्फ मामले में सभी गतिविधियां वक्फ एक्ट के मुताबिक की जाएंगी, न कि राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों कमेटियों के सीमित कार्यकाल में राजधानी की बेशकीमती वक्फ जायदाद की बंदरबांट का बड़ा खेल किया गया है। वक्फ कब्रस्तान नरेला शंकरी से लेकर मस्जिद घोड़ा नक्कास सहित कई मामले औकाफ-ए-आम्मा और जिला वक्फ की तात्कालीन कमेटी ने अंजाम दिए थे। इसी दौरान हलालपुर स्थित कब्रस्तान की करीब एक एकड़ जमीन की किरायादारी भी नियमों को दरकिनार कर कर दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस जमीन से संबंधित दस्तावेज भी वक्फ रिकार्ड से गायब कर दिए गए हैं। जिसके चलते अब वक्फ बोर्ड इस जमीन पर अपने आधिपत्य का दावा करने की स्थिति में भी नहीं है।
कार्यवाहियों का दौर तेज
मप्र वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शौकत मोहम्मद खान, औकाफ-ए-आम्मा के पूर्व सचिव फुरकान अहमद और सह सचिव जुबेर अहमद के खिलाफ बोर्ड प्रशासन ने अमानत में खयानत का मामला दर्ज करवाया है। फिलहाल इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है, इससे पहले बोर्ड की तरफ से कराई गई एक और शिकायत की गाज बोर्ड के पूर्व सीइओ डॉ. युनूस खान पर गिरी है। उनके खिलाफ छिंदवाड़ा के एक वक्फ की दुकानों के आवंटन को लेकर भ्रष्टाचार और नियमों के विरुद्ध काम किए जाने का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि पिछली कमेटियों और इनके ओहदेदारों द्वारा किए गए नियमविरुद्ध कामों की जांच के दौरान उन सियासी ओहदेदारों पर भी नजर दौड़ाई जा रही है, जो भाजपा शासनकाल में जिला वक्फ कमेटी और जिला मुतवल्ली कमेटी में पदस्थ किए गए थे। इनके कार्यकाल के नियमविरुद्ध कामों की फेहरिस्त बनाकर बोर्ड प्रशासन दोषी सभी ओहदेदारों के खिलाफ शिकायत करने की तैयारी कर रहा है।
जिला कमेटियों पर भी गिरी गाज
मप्र वक्फ बोर्ड में सियासी बिदाई होने के बाद पिछले बोर्ड द्वारा गठित की गईं सभी जिला कमेटियों को भंग कर दिया है। एक ही आदेश से निरस्त की गईं करीब 45 कमेटियों में कई जिला कमेटियां ऐसी भी हैं, जिनके गठन को महज 2-4 महीने का समय ही हुआ था। बोर्ड प्रशासन का मानना है कि फिलहाल ऐसी सभी कमेटियों को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन ऐसी कमेटियां जिनका कार्य बेहतर है और कमेटियों में गैर सियासी तथा काम का उत्साह रखने वाले युवा शामिल हैं, को पुन: बहाल करने पर विचार किया जा रहा है।
इनका कहना
वक्फ, अल्लाह की जायदाद है। इसको खुर्दबुर्द करने वाला हर शख्स न सिर्फ कानून का गुनाहगार है, बल्कि अल्लाह का भी कुसूरवार है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो, इसके लिए लगातार जांच की जा रही है और इनके खिलाफ कार्यवाही करने की तैयारी की जा रही है।
निसार अहमद,
प्रशासक, मप्र वक्फ बोर्ड
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