Bhopal

वक्फ बोर्ड पूर्व अध्यक्ष के बाद अब तत्कालीन सीईओ के खिलाफ मामला दर्ज

भोपाल सरकार बदलने के साथ मप्र वक्फ बोर्ड में बदले निजाम के दौरान काम से ज्यादा बवाल के हालात नजर आ रहे। पूर्व बोर्ड अध्यक्ष शौकत मोहम्मद खान के खिलाफ अमानत में खयानत का मामला अभी ताजा ही है, इस बीच बोर्ड के तत्कालीन सीईओ डॉ यूनुस खान को कार्यवाही के कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। प्रभारी सीईओ ने उनके खिलाफ कई धाराओं के तहत थाना शाहजहानाबाद में शिकायत दर्ज कराई है।
मप्र वक्फ बोर्ड के तत्कालीन सीईओ डॉ यूनुस खान के खिलाफ बोर्ड के प्रभारी सीईओ मोहम्मद अहमद ने शिकायत दर्ज कराई है। शनिवार को की गई शिकायत के दौरान डॉ यूनुस के खिलाफ छिंदवाड़ा के वक्फ थाना शाहजहाँबाद भोपाल में दर्ज की गई, है जिसमें वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व सीईओ युनुस खान और उनके सहयोगी कर्मचारी खुश आलम अली पर धारा 467, 468, 471,420 IPC के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ है।

आरोप है कि दोनों ने मिलकर फ़र्ज़ी फ़ाइल बनाकर दुकानों के आवंटन आदेश जारी कर दिए, जिसका कोई रिकॉर्ड वक़्फ़ बोर्ड में उपलब्ध ही नहीं है।

मप्र वक्फ बोर्ड ने इससे पहले पूर्व अध्यक्ष शौकत मोहम्मद खान, औकाफ-ए-आम्मा के सचिव फुरकान अहमद और सह सचिव जुबेर अहमद के खिलाफ अमानत में खयानत के मामले को लेकर भादवि की धारा 409 के तहत मामला दर्ज करवाया था। इन पूर्व पदाधिकारियों को वक्फ हमीदिया मस्जिद की किरायदारियों में भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया गया है।

जो आया हुआ दागी

मप्र वक्फ बोर्ड के संचालन के लिए गठित की जाने वाली कमेटियों में राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं। जबकि यहां की प्रशासनिक व्यवस्था सरकारी अधिकारियों के जिम्मे रहती हैं। सियासी लोगों द्वारा अपने आकाओं को खुश करने और अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए अक्सर ऐसे कई कामों को अंजाम दिया जाता है, जिसके चलते सरकारी सेवा के अधिकारियों को कटघरे में खड़े होना पड़ता है। इससे पहले यहां पदस्थ रहे एसयू सैयद, दाऊद अहमद खान, डॉ एसएमएच जैदी, एमए फारुखी आदि पर भी कार्यवाही की गाज गिरी है। अलग-अलग मामलों में इन सभी अधिकारियों को विभागीय जांच से लेकर लोकायुक्त शिकायतों और अदालती कार्यवाही तक से जूझना पड़ा है।

व्यवस्था इंतज़ाम देखने की थी, हो रहे रंजिश निकालने के काम

मप्र वक्फ बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद नियमानुसार यहां नए बोर्ड गठन की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाना चाहिए थी, लेकिन नियम विरुद्ध यहां प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई है। जानकारों का कहना है कि वक्फ एक्ट के मुताबिक प्रशासक की नियुक्ति उस दिशा में की जाती है, जब किसी वजह से बोर्ड को भंग किया गया हो। इधर बोर्ड से सीईओ के मूल विभाग में भेज दिए जाने के बाद व्यवस्था प्रभारी के रूप में बोर्ड के ही एक क्लर्क के हाथों में है। नियमानुसार संविदा नियुक्ति वाले प्रशासक और सीईओ का प्रभार सम्हाल रहे क्लर्क को किसी तरह के नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है लेकिन वे पिछले दो महीने में लगातार कमेटी गठन से लेकर पूर्व पदाधिकारियों और अफसरों पर कार्यवाही करने में व्यस्त हैं। जबकि बोर्ड गठन की दिशा में अब तक कोई कार्यवाही प्रकिया में नहीं आई है।
————

Please follow and like us:
Pin Share

Leave a Reply