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वैष्णवी हगवणे आत्महत्या: वकील के बयानों पर भड़कीं अंजलि दमानीया, लाइसेंस रद्द करने की मांग

वैष्णवी हगवणे आत्महत्या: वकील के बयानों पर भड़कीं अंजलि दमानीया, लाइसेंस रद्द करने की मांग

अंतिम अपडेट: जून 04, 2025, 15:58 IST

पुणे: वैष्णवी हगवणे आत्महत्या मामले में सुनवाई के दौरान वकील विपुल दुशिंग द्वारा दिए गए बयानों पर सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानीया ने खुलकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, “मैं बेहद, बेहद गुस्से में हूं। वकील ने कोर्ट में जो बातें कही हैं, वो न सिर्फ असंवेदनशील हैं, बल्कि महिला विरोधी भी हैं।”

घरेलू हिंसा की परिभाषा पर सवाल

दमानीया ने बताया कि वकील ने कोर्ट में सवाल किया कि क्या प्लास्टिक की छड़ी से मारना हिंसा है और क्या चार थप्पड़ मारना उत्पीड़न माना जा सकता है। दमानीया ने इस पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा, “क्या ये वकील घरेलू हिंसा कानून की धारा 3 पढ़ते भी हैं? इस धारा में शारीरिक ही नहीं, मानसिक, मौखिक, भावनात्मक, यौन और आर्थिक हिंसा को भी शामिल किया गया है।”

‘वैष्णवी की छवि बिगाड़ने की कोशिश’

दमानीया ने वकील पर आरोप लगाया कि उन्होंने कोर्ट में वैष्णवी की छवि को बदनाम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “जब एक लड़की मर जाती है, तब उसकी गरिमा की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। लेकिन यहां, आरोपी के बचाव में वकील ने उसकी ही नीयत पर सवाल उठा दिए।”

बार काउंसिल से कार्रवाई की मांग

दमानीया ने कहा कि अगर कोई वकील कोर्ट में घरेलू हिंसा को सही ठहराने की कोशिश करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं पुणे बार एसोसिएशन से हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि विपुल दुशिंग जैसे वकील का लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाए।”

पुलिस की कस्टडी बढ़ाने पर भी विवाद

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मंगलवार को पुलिस ने आरोपियों की रिमांड बढ़ाने की मांग की। बचाव पक्ष ने इसका विरोध करते हुए वैष्णवी के चरित्र पर सवाल उठाए और दावा किया कि वह पहले से मानसिक रूप से अस्थिर थी।

पुलिस का कहना है कि वैष्णवी के शरीर पर चोट के निशान थे और परिवार ने प्रताड़ना का आरोप लगाया है। लेकिन वकील का तर्क था कि पति द्वारा “चार थप्पड़ मारना उत्पीड़न नहीं है” और वैष्णवी की आत्महत्या के पीछे कोई और कारण हो सकता है।

हगवणे परिवार की गिरफ्तारी और आरोप

इस मामले में राजेंद्र हगवणे, वैष्णवी के पति शशांक, सास लता, ननद करिश्मा और देवर सुशील को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसके अलावा पांच और लोग, जिनमें एक पूर्व कर्नाटक मंत्री का बेटा भी शामिल है, पर आरोप है कि उन्होंने राजेंद्र और सुशील को फरार रहने में मदद की।

बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि हगवणे परिवार बेहद अमीर है, जिनके पास करोड़ों की गाड़ियां हैं, और दहेज की मांग जैसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए और कहा कि असली वजह को नजरअंदाज किया जा रहा है।

यह मामला पुणे में घरेलू हिंसा और न्याय प्रणाली में संवेदनशीलता के मुद्दों पर एक नई बहस छेड़ रहा है।

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