कोलकाता। चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात रहे पश्चिम बंगाल में चुनावी ड्यूटी में तैनात होने से पूर्व शिक्षकों ने पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर चुनावी ड्यूटी नहीं करने की चेतावनी शिक्षकों की ओर से दी गई है।
मंगलवार को शिक्षाकर्मियों के संगठन “शिक्षक शिक्षाकर्मी शिक्षा अनुरागी मंच” के नेता किंकर अधिकारी के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य चुनाव अधिकारी से मिलने गया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक शिक्षकों के लिए घर से निकलने से लेकर घर पहुंचने तक की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक शिक्षक चुनावी ड्यूटी नहीं करेंगे।
चुनाव अधिकारी से मिलने के बाद बाहर निकले किंकर अधिकारी ने बताया कि पिछले साल प्रिसाइडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात हुए रतनपुर हाई मदरसा के शिक्षक राजकुमार राय का शव पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के ठीक दूसरे दिन बाद रेलवे लाइन पर क्षत-विक्षत हालत में बरामद किया गया था।
इसके अलावा देगंगा के मनीरुल हसन राजारहाट में ड्यूटी करने गए थे लेकिन उन्हें जमकर मारा-पीटा गया था। इसके बाद अब चुनावी ड्यूटी करने में डर लग रहा है। कई बार ऐसा होता है कि सुरक्षा अधिकारियों की कमी की वजह से फर्जी मतदान होता है और शिक्षकों को सर झुका कर इसे स्वीकार करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हमने चुनाव अधिकारी को एक ज्ञापन दिया है जिसमें मांग की गई है कि प्रत्येक मतदान केंद्र में प्रिसाइडिंग अधिकारियों की सुरक्षा के लिए कम से कम छह केंद्रीय जवान और पुलिस के अधिकारियों को तैनात करना होगाा। मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम जमा देते ही चुनाव आयोग की ओर से रिलीज ऑर्डर दिया जाता है लेकिन केवल इससे काम नहीं चलेगा।
शिक्षकों को घर से ले जाने से लेकर उन्हें वापस घर पहुंचाने तक की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था आयोग को करनी होगी। इसके अलावा चुनावी ड्यूटी के दौरान बीमार पड़ने अथवा जान गंवाने वाले शिक्षकों के परिजनों को उचित आर्थिक मदद देने की व्यवस्था भी करनी होगी।
किंकर ने बताया कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तो हमलोग चुनावी ड्यूटी का बहिष्कार भी करेंगे और सड़कों पर उतरकर आंदोलन भी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि चुनाव अधिकारी ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है।