लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा उस वक़्त सकते में आ गयी जब उनकी खुद की पार्टी के सांसद ने उन्हें सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया, दरअसल मामला बिहार से जुड़ा हुआ है वहा की सारण सीट से लोकसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने संसद में अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें सूक्ष्म एवं लधु उद्द्योग मंत्री बनाया गया था, फिर बिना कारण बताये विभाग वापस ले लिया गया।
सोमवार को लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि बिहार में इको टूरिज्म को लेकर केंद्र सरकार उनकी कोई बात नहीं सुन रही. साथ ही उन्होंने कहा, ‘तीन साल से लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर बार कोई न कोई नया नियम, कानून बताकर उन्हें घुमा दिया जाता है.’
इस पर केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने जब जवाब दिया कि इस मामले में बिहार सरकार से कोई डीपीआर नहीं मिला है, तो रूडी ने कागजात दिखाते हुए कहा कि अगर सदन में इसे पेश करने के बाद भी ऐसा कहा जा कहा है तो ये विशेषाधिकार का मामला है. सदन में रूडी के सवाल पूछने के बाद कुछ विपक्षी सांसदों ने मेज भी थपथपाई.
संसद में ऐसा ही गतिरोध कुछ दिन पहले और देखने को मिला था, जब केंद्र ने कहा था कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना, अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं करना चाहिए था. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा ‘यह उचित नहीं है और राज्य सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए.’ शून्यकाल में यह मुद्दा बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने उठाया था. उन्होंने कहा था कि अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला असंवैधानिक है क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूचियों में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद को है.