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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कांग्रेस नहीं बीजेपी सरकार में सबसे पहले हुईं थी गिरफ्तार, सुनील जोशी मर्डर केस से जुड़ा है मामला

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी की ओर से भोपाल का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद से मालेगांव ब्लास्ट भी लोकसभा चुनाव में चर्चा में आ गया है। कई बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा को कांग्रेस की साजिश का शिकार बता रहे हैं। बीजेपी के नेता कहते रहे हैं साध्वी प्रज्ञा को हिंदुओं को बदनाम करने के लिए फंसाया गया। हाल में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि साध्वी प्रज्ञा उनमें से एक हैं जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए जन्म लिया है।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी साल की शुरुआत में वर्धा में एक रैली में कहा था कि ‘हिंदू आतंक’ की बात करने वाली कांग्रेस को देश के हिंदू कभी माफ नहीं करेंगे।

साध्वी प्रज्ञा के आने के बाद बीजेपी का हमला एक बार फिर कांग्रेस पर तेज होगा, यह तय है। हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि साध्वी पर अपराध से जुड़ा सबसे पहला आरोप मध्य प्रदेश की ही बीजेपी सरकार द्वारा लगाया गया था। इस दौरान मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान थे। यह मामला 2008 का है। मध्य प्रदेश पुलिस ने साध्वी ठाकुर और 8 अन्य लोगों को मध्य प्रदेश के देवास जिले में आरएसएस के सुनील जोशी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था।

सुनील जोशी मर्डर केस

आरएसएस से जुड़े रहे सुनील जोशी का नाम समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव ब्लास्ट से बतौर आरोपी जुड़ा है। उनकी हत्या 29 दिसंबर, 2007 को देवास में हुई। इसके बाद 23 अक्टूबर, 2008 को देवास पुलिस ने प्रज्ञा ठाकुर को इस मर्डर केस के मामले में गिरफ्तार किया। हालांकि, 25 मार्च, 2009 को पुलिस ने केस को बंद कर दिया और प्रज्ञा ठाकुर सहित दूसरे आरोपियों को भी छोड़ दिया गया।

पुलिस ने करीब एक साल बाद ही 9 जुलाई 2010 को सुनील जोशी मर्डर केस को फिर से खोला और प्रज्ञा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया। इस चार्जशीट के आधार पर पुलिस ने प्रज्ञा के खिलाफ 26 फरवरी को गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। प्रज्ञा हालांकि मालेगांव बम धमाके के आरोप में इस दौरान पहले से ही जेल में थीं।

मध्य प्रदेश पुलिस ने जोशी मर्डर मामले में अपनी चार्जशीट में क्या कहा

मध्य प्रदेश पुलिस ने 432 पन्नों की चार्जशीट न्यायिक मजिस्ट्रेट पदमेश शाह के सामने पेश की। इसमें पुलिस ने बताया कि आरएसएस कार्यकर्ता सुनील जोशी की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उनके ‘कटट्पंथी हिंदू साथियों’ में यह डर था कि उनकी गिरफ्तारी से बम ब्लास्ट से जुड़ी कई रहस्य सामने आ जाएंगे। चार्जशीट में यह भी कहा गया कि ‘साध्वी प्रज्ञा दरअसल जोशी से खुश नहीं थीं क्योंकि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था और यह कुछ ऐसा था जिसे कोई महिला के द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’

इस चार्जशीट में 124 गवाहों के बयान भी दर्ज भी थे। चार्जशीट में यह भी कहा गया कि सुनील जोशी के मर्डर वाले दिन साध्वी प्रज्ञा इंदौर में थीं और उनका मोबाइल रिकॉर्ड बताता है कि वह लगातार आरोपियों से संपर्क में थीं। बहरहाल, 2017 में देवास कोर्ट ने जोशी मर्डर केस के आरोप से बरी कर दिया।

भोपाल से साध्वी ठाकुर कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़ेंगी। भोपाल को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। साल 1989 के बाद से ही बीजेपी यहां कोई चुनाव नहीं हारी है। कांग्रेस के अंदर जब भोपाल सीट की चर्चा चल रही थी तब मध्य प्रदेश सीएम कमलनाथ ने कहा था कि दिग्विजय को भोपाल या इंदौर जैसी सीट से लड़ना चाहिए जहां से कांग्रेस कई वर्षों से जीत हासिल नहीं कर सकी है। इसके बाद दिग्विजय ने इस चुनौती को स्वीकार किया।

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