स्पाइवेयर क्या है ?
स्पाइवेयर का इस्तेमाल किसी यूजर का पर्सनल डेटा चुराने या हैक करने में किया जाता है। इसमें कई सॉफ्टवेयर होते हैं, जिनका इस्तेमाल चोरी छिपे यूजर्स के कम्प्यूटर, लैपटॉप और फोन में किया जाता है। डेटा चोरी के साथ वायरस भेजकर डिवाइस को क्रैश भी किया जा सकता है। स्पाइवेयर के चार प्रकार- कीलॉगर्स, पासवर्ड स्टीलर, इन्फोस्टीलर और बैंकिंग ट्रोजन हैं।
सोशल मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप्प ने जासूसी करने वाले सॉफ्टवेयर स्पायवेयर से बचाव के लिए यूजर्स को ऐप का नया वर्जन (2.19.139) तुरंत अपडेट करने की सलाह दी है। कंपनी के मुताबिक, वॉयस मिस्डकॉल के जरिए स्मार्टफोन में एक सॉफ्टवेयर ऑटोमैटिक इंस्टॉल हो रहा है। इससे फोन में वायरस हमले और उसके डैमेज होने का खतरा है।
इस बग की जानकारी मई की शुरुआत में मिली । इसके लिए एडवांस्ड साइबर एक्ट जिम्मेदार है। इसमें वे सभी हॉलमार्क हैं जो किसी प्राइवेट कंपनी में होते हैं। कंपनी के मुताबिक, इस सॉफ्टवेयर के जरिए फोन को हैक किया जा सकता है। यूजर्स के फोटो, वीडियो के अलावा सभी मुख्या जानकारी चोरी होने का खतरा है।