नई दिल्ली: भारत में गन्ना किसानों को सिंचाई की कमी और ज़मीन के उपजाऊपन में गिरावट के कारण बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. हालांकि, अब कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाए तो गन्ने का उत्पादन 30 फीसदी तक बढ़ सकता है और पानी की खपत भी आधी रह जाएगी. यह किसानों की कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया मानी जाने वाली गन्ने की फसल के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है.
AI से बढ़ेगा उत्पादन, घटेगी पानी की खपत
कृषि क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने बताया कि AI के इस्तेमाल से गन्ने की खेती के लिए पानी की ज़रूरत 50 फीसदी तक कम हो जाएगी और प्रति एकड़ गन्ने का उत्पादन भी करीब 30 फीसदी बढ़ सकता है. इससे चीनी मिलों को लंबे समय (110 दिन से अधिक) तक चलाने में मदद मिलेगी और उनका घाटा भी कम होगा.
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड के निदेशक जयप्रकाश दांडेगांवकर ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट ने गन्ने की खेती के लिए AI के इस्तेमाल पर लंबे समय से काम किया है और गन्ने के उत्पादन में 30 फीसदी की वृद्धि और पानी के इस्तेमाल (इसकी खेती में) को 50 फीसदी तक कम करने का आश्वासन दिया है.
नई तकनीक पर कितना आएगा खर्च?
दांडेगांवकर ने कहा कि महाराष्ट्र की 40 (23 सहकारी और 17 निजी) चीनी मिलें, जिन पर वीएसआई (VSI) का कोई ऋण बकाया नहीं है, उन्हें इस परियोजना (गन्ने की खेती में AI के उपयोग) में शामिल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि शुरुआत में एक किसान को 25,000 रुपये खर्च करने की ज़रूरत पड़ सकती है. यह तकनीक खेती के पूर्वानुमान, मृदा परीक्षण (मिट्टी की जांच), सिंचाई के अलर्ट, कीटनाशकों के इस्तेमाल को सीमित करने और मिट्टी की गुणवत्ता की सुरक्षा पर काम करेगी. पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में गन्ने की पैदावार में कमी आई है.
मौजूदा पैदावार और भविष्य का लक्ष्य
दांडेगांवकर ने बताया कि कम बारिश के कारण महाराष्ट्र में प्रति एकड़ गन्ने का उत्पादन घटकर 73 टन रह गया है. AI के इस्तेमाल से हम निकट भविष्य में इसे कम से कम 150 टन प्रति एकड़ उत्पादन तक पहुंचा सकते हैं. उन्होंने किसानों को इसके लिए अपने खेतों में ‘ड्रिप’ सिंचाई प्रणाली लगाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगस्त के अंत तक या सितंबर के पहले सप्ताह तक इस तरह का पहला स्टेशन (स्वचालित AI सुविधा) स्थापित और चालू हो जाएगा. बाद में इसे देशभर में लागू किया जाएगा.