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97 मुसलमानों की हत्या में दोषी ठहराए गए बाबू बजरंगी को मिली बेल

सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगे में नरोदा पाटिया क़त्लेआम के दोषी क़रार दिए गए बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को ख़राब स्वास्थ्य के आधार पर ज़मानत दे दी है.

नरोदा पाटिया क़त्लेआम में बाबू बजरंगी को दोषी ठहराया गया था और आजीवन क़ैद की सज़ा मिली थी.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खनविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के बाद यह आदेश पास किया है.

इस बेंच ने बजरंगी को सशर्त ज़मानत दी है. बजरंगी ने गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और ख़राब सेहत के आधार पर ज़मानत की मांग की थी.

नरोदा पाटिया क़त्लेआम 28 फ़रवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा में हुआ था.

इसमें 97 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी. बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों की भीड़ ने इस क़त्लेआम को अंजाम दिया था.

स्थानीय पुलिस और सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त विशेष जांच टीम ने 62 लोगों को अभियुक्त बनाया था. इनमें से 32 लोगों को निचली अदालत ने दोषी क़रार दिया था.

इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने अपने हाल के आदेश में इन 32 लोगों में से 18 लोगों को बरी कर दिया था.

दंगे में मारे गए अधिकांश मुसलमान कर्नाटक के गुलबर्ग से थे और दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे. 2002 से अब तक उनमें से कई पीड़ित परिवार नरोदा पाटिया से चले गए. इस मामले में माया कोडनानी को भी दोषी ठहराया गया था. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो माया कोडनानी उनके मंत्रिमंडल में थीं.

 

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