Pahalgam Terror Attack Latest Update: पहलगाम आतंकी हमले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सुरक्षाबलों को चौंकाने वाले खुलासे हाथ लग रहे हैं. इन आतंकियों ने बैसरन घाटी में 26 हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया था और फि…और पढ़ें

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हृदयविदारक आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष हिंदुओं की जान ले ली गई, की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर बैसरन घाटी में पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाने वाले इन आतंकियों के छिपे ठिकानों का पता चलने के बाद सुरक्षाबलों के होश उड़ गए हैं।
हमले के बाद से ही सुरक्षाबल आतंकियों की तलाश में पहाड़ के घने जंगलों को छान मार रहे थे। अब तक की जांच में आतंकियों के 70 से भी ज्यादा ऐसे गुप्त ठिकानों का पता चला है, जिन्हें दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों के भीतर बेहद शातिर तरीके से छुपाकर बनाया गया था। इन हाइडआउट्स की बनावट और उनकी लोकेशन देखकर सुरक्षा एजेंसियां भी हैरान हैं, क्योंकि यह साफ दर्शाता है कि इन्हें बनाने में न केवल स्थानीय मददगारों की सहायता ली गई, बल्कि सैन्य विशेषज्ञता का भी इस्तेमाल किया गया है।
इन गुप्त ठिकानों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे और भी चौंकाने वाली हैं। आतंकियों ने जमीन में गहरे गड्ढे खोदकर उन्हें ऊपर से पेड़ों की लकड़ियों और सूखे पत्तों से इस तरह ढक दिया था कि वे आसानी से नजर नहीं आते थे। कुछ मामलों में तो हाइडआउट को चट्टानों के बीच इस तरह से छिपाया गया था कि वे एक सामान्य दरार की तरह दिखते थे। इनकी बनावट और छिपने के तरीके यह साबित करते हैं कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों को चकमा देने के लिए कमांडो-स्तर की छिपने की तकनीकों का इस्तेमाल किया था।
आतंकियों के ठिकानों से क्या मिला?
जांच एजेंसियों को इन गुप्त ठिकानों से भारी मात्रा में हथियार और अन्य साजो-सामान भी बरामद हुए हैं। इनमें महीनों का राशन, चावल की बोरियां, रजाई और कुछ स्थानों पर खुदे हुए ऐसे गड्ढे मिले हैं, जिनका इस्तेमाल सोने और हथियारों को छुपाने के लिए किया जाता था। यह सब इस बात की ओर इशारा करता है कि आतंकियों ने इन ठिकानों पर लंबे समय तक टिके रहने की पूरी योजना बनाई थी।
सूत्रों के मुताबिक, इन हाइडआउट्स का खुलासा स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की निशानदेही पर हुआ है। सुरक्षाबलों ने इनसे गहन पूछताछ की, जिसके बाद उन्हें इन ठिकानों तक पहुंचने में सफलता मिली। दक्षिण और उत्तरी कश्मीर के ऊंचाई वाले घने जंगलों में सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस का संयुक्त तलाशी अभियान लगातार जारी है, और आशंका है कि अभी और भी ऐसे गुप्त ठिकाने सामने आ सकते हैं।
जांच एजेंसियों का मानना है कि ये हाइडआउट्स न केवल हमलों की साजिश रचने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे, बल्कि इनका मुख्य उद्देश्य आतंकियों को लंबे समय तक सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराना भी था। हाइडआउट्स में मिली सामग्री और उनकी रणनीति यह भी दर्शाती है कि इन्हें स्थानीय जानकारी और विदेशी सैन्य प्रशिक्षण के मिश्रण से तैयार किया गया था।
फिलहाल, सुरक्षाबलों ने इन सभी हाइडआउट्स को ध्वस्त कर दिया है। यह ऑपरेशन एक कड़ा संदेश है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के किसी भी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए पूरी तरह से सतर्क और सक्षम हैं।