Breaking news Latest News National News Others Technology

पहले ₹2 लाख जीते, फिर मौत को गले लगाने चली गई! ऑनलाइन गेमिंग का खौफनाक सच, अब बता रही है कैसे बचें | AgrasarIndia Special

मुंबई: एक क्लिक और जिंदगी हुई तबाह! मुंबई की श्वेता (बदला हुआ नाम), जो एक पढ़ी-लिखी कॉर्पोरेट प्रोफेशनल हैं, चंद दिनों में ऑनलाइन कसीनो गेम्स की ऐसी लत में फंसीं कि मौत उनके दरवाजे तक आ गई। सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी। स्पोर्ट्स बेटिंग और कसीनो गेम्स का वो लुभावना विज्ञापन श्वेता को पहले मनोरंजन लगा, लेकिन कब ये जानलेवा आदत बन गई, उन्हें पता ही नहीं चला।

जीती लाखों, फिर बर्बादी का काला दौर

वर्क फ्रॉम होम के दौरान श्वेता ने ऑनलाइन गेम्स को टाइमपास का जरिया समझा। शुरुआत में ₹5,000 लगाए और किस्मत ऐसी पलटी कि सीधे ₹2 लाख जीत गईं। लगा, यही तो है आसान कमाई का रास्ता! मां-बाप के लिए महंगे गिफ्ट खरीदे और लालच बढ़ता गया। वो और पैसे लगाने लगीं।

बोनस का जाल, लालच की गहराई

गेमिंग प्लेटफॉर्म हर बार पैसे डालने पर बोनस देता था। ये लालच उन्हें बार-बार खींच लाता। लेकिन जीत का सिलसिला जल्द ही थम गया। श्वेता को बड़ा नुकसान हुआ, फिर भी उम्मीद नहीं छोड़ी। सोचती थी, अगली बार जरूर जीतूंगी।

कर्ज का मकड़जाल, झूठ का सहारा

हार के दलदल में फंसती श्वेता ने ₹7 लाख का पर्सनल लोन ले लिया। फिर दोस्तों से भी पैसे उधार मांगने लगी। सबसे झूठ बोला कि शेयर बाजार में इन्वेस्ट कर रही है। असलियत में वो सारा पैसा गेमिंग साइट्स पर उड़ा रही थी। जब कर्ज असहनीय हो गया, तो उसने अपने माता-पिता को सच्चाई बताई। परिवार को गहरा सदमा लगा, लेकिन उन्होंने श्वेता का साथ दिया और कर्ज चुकाया। कुछ दिन श्वेता गेम्स से दूर रही, लेकिन लालच ने फिर घेर लिया और उसने दोबारा गेमिंग में पैसे लगाने शुरू कर दिए।

डिप्रेशन और मौत का खौफनाक मंजर

इस बार श्वेता ने ₹2 लाख का नया लोन लिया और वही खतरनाक चक्र फिर शुरू हो गया। बढ़ता तनाव, नींद और भूख की कमी ने उसे अंदर से तोड़ दिया। आखिरकार, उसने खुदकुशी की कोशिश की। किस्मत अच्छी थी कि समय पर इलाज मिल गया और उसकी जान बच गई। अस्पताल में कई हफ्तों के इलाज और सर्जरी के बाद अब वो ठीक है।

अब जगा रही है दूसरों को

अपनी जिंदगी के सबसे बुरे अनुभव से सबक लेकर श्वेता अब दूसरों को आगाह कर रही है। उसका कहना है, “आसान पैसा सिर्फ एक धोखा है। ऑनलाइन सट्टेबाजी एक ऐसा कुआं है जिसमें आप जितना नीचे जाओगे, उतना ही डूबते जाओगे। किसी भी हाल में आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए।”

युवा पीढ़ी पर मंडराता खतरा

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अविनाश डी सूसा बताते हैं कि 17 से 30 साल के युवाओं में गेमिंग और सट्टेबाजी की लत तेजी से बढ़ रही है। सेलिब्रिटीज द्वारा इन ऐप्स का प्रचार इस लत को और बढ़ावा दे रहा है।

ऐप्स का खतरनाक डिजाइन

‘रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म’ की सह-संस्थापक सोनाली पाटणकर कहती हैं कि ये ऐप्स अपने डिजाइन, रंग और लोगो से यूजर्स को बांधे रखते हैं। इनके पीछे मनोवैज्ञानिक रणनीति काम करती है, लेकिन इन पर कोई सख्त कानूनी रोक नहीं है।

कानून में बड़ी खामियां

साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉ. प्रशांत माली के अनुसार, 1867 के पब्लिक गैंबलिंग एक्ट में ऑनलाइन सट्टेबाजी का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि कुछ गेम्स में कौशल का इस्तेमाल होता है, इसलिए उन्हें सट्टेबाजी नहीं माना जाता।

शिकंजा कसने की तैयारी

2023 में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेम्स को लेकर आईटी नियमों में बदलाव किए हैं। अब ऐसे गेम्स पर सेंट्रल लेवल पर निगरानी रखी जाती है, लेकिन राज्य सरकारों के नियम अलग-अलग हैं। कुछ ऐप्स क्रिप्टो वॉलेट्स के जरिए भी इनाम देते हैं, जिस पर अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून भी लागू होता है।

ऑनलाइन गेमिंग का ये अंधेरा सच श्वेता जैसी कई जिंदगियों को खतरे में डाल रहा है। जरूरत है जागरूकता की, सतर्कता की और सख्त कानूनी कार्रवाई की, ताकि युवा पीढ़ी इस खतरनाक जाल से बच सके।

Please follow and like us:
Pin Share

Leave a Reply