नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले इंग्लैंड क्रिकेट टीम में एक अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला है। मुख्य कोच ब्रैंडन मैकुलम ने टीम के दो महत्वपूर्ण डेटा विश्लेषकों, फ्रेडी वाइल्ड और नाथन लेमन को उनके पदों से हटा दिया है। मैकुलम का यह हैरान करने वाला फैसला टीम मैनेजमेंट और क्रिकेट पंडितों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब टीम नए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र की शुरुआत करने के लिए तैयार है, जिसकी पहली कड़ी 20 जून से हेडिंग्ले में भारत के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला होगी।
मैकुलम के फैसले का क्या है मतलब?
‘द डेली टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड के दो अनुभवी क्रिकेट विश्लेषक नाथन लेमन और फ्रेडी वाइल्ड अब टीम का हिस्सा नहीं रहेंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मैकुलम का यह निर्णय दर्शाता है कि राष्ट्रीय टीम भविष्य में डेटा पर पहले जितना ध्यान केंद्रित नहीं करेगी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लेमन इंग्लैंड के वरिष्ठ डेटा विश्लेषक थे, जबकि वाइल्ड सीमित ओवरों के क्रिकेट के लिए टीम के साथ काम कर रहे थे। इन दोनों की रवानगी इंग्लैंड की टीम के सपोर्ट स्टाफ में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह भी जानकारी सामने आई है कि ये दोनों इस महीने के अंत में वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली इंग्लैंड की सीमित ओवरों की श्रृंखला में भी टीम के साथ नहीं होंगे, जिस सीरीज में हैरी ब्रुक पहली बार वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में कप्तानी करते नजर आएंगे।
क्या डेटा पर भरोसा नहीं करते मैकुलम?
ब्रैंडन मैकुलम का हमेशा से ही खेल के प्रति एक अलग दृष्टिकोण रहा है। न्यूजीलैंड के इस पूर्व कप्तान को डेटा-आधारित अप्रोच पर उतना भरोसा नहीं है, खासकर टेस्ट क्रिकेट जैसे लंबे प्रारूप में। उनका मानना है कि डेटा का उपयोग टी-20 जैसे छोटे प्रारूपों के लिए अधिक उपयुक्त है। मैकुलम का यह भी मानना है कि सपोर्ट स्टाफ की संख्या कम होने से टीम का माहौल सरल और अधिक सहज बना रहता है।
खिलाड़ियों पर बढ़ेगी जिम्मेदारी
मैकुलम के इस नए दृष्टिकोण के तहत, इंग्लैंड के खिलाड़ियों को अपनी तैयारी और प्रदर्शन की अधिक जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। कोच का मानना है कि इससे खिलाड़ी अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे और मैच के दिनों में ड्रेसिंग रूम में अनावश्यक भीड़ और जटिलता से भी बचा जा सकेगा।
दिलचस्प बात यह है कि इंग्लैंड का यह नया तरीका भारत के विपरीत है, जहां राहुल द्रविड़ के कोच बनने के बाद से टीम में डेटा विश्लेषण पर काफी जोर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड के खिलाड़ी व्यक्तिगत स्तर पर विश्लेषकों की सलाह ले सकते हैं, लेकिन उन्हें मैदान पर अपने अंतर्मन और खेल की परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
ब्रैंडन मैकुलम का यह साहसिक फैसला इंग्लैंड टीम के प्रदर्शन पर क्या असर डालता है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या डेटा विश्लेषकों की कमी भारत के खिलाफ आगामी महत्वपूर्ण टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड के लिए नुकसानदायक साबित होगी, या मैकुलम का यह ‘माइंड गेम’ टीम को अप्रत्याशित सफलता दिलाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।