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बड़ा खुलासा! अमेरिका से रूस तक सब चीन की ‘चोरी’ से परेशान! ऐसे बने चीन के सारे खतरनाक हथियार, दुनिया हैरान!

नई दिल्ली: चीन की सैन्य ताकत जिस रफ्तार से बढ़ी है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। लेकिन इस हैरतअंगेज तरक्की के पीछे एक गहरा राज छिपा है – ‘कॉपीकैट’ यानी नकलची देश होने के आरोप! ड्रोन से लेकर स्टील्थ फाइटर जेट तक, चीन पर बार-बार यह आरोप लगे हैं कि उसने अमेरिका, रूस, इजरायल और यूरोपीय देशों की अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों की चोरी कर अपने खतरनाक हथियार बनाए हैं। तो क्या चीन वाकई खुद पर खड़ा है, या चोरी की तकनीक से बना है उसका सैन्य साम्राज्य? इस सनसनीखेज रिपोर्ट में हम आपको उन 6 खतरनाक हथियारों के बारे में बताएंगे, जो चीन ने कथित तौर पर दूसरे देशों से चुराकर बनाए हैं।

1. Shenyang J-31 (चीन) vs F-35 Lightning II (अमेरिका): चोरी का स्टील्थ फाइटर!

चीन का Shenyang FC-31 Gyrfalcon, जिसे J-31 या J-35 भी कहा जाता है, अमेरिकी F-35 Lightning II का कार्बन कॉपी माना जाता है। और यह तुलना सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि चोरी के आरोपों से भी जुड़ी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी हैकर्स ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों से F-35 के डिजाइन प्लान्स चुराए थे। इनमें एयरक्राफ्ट की स्टील्थ शेप, रडार सिग्नेचर को कम करने की तकनीक और इंजन से निकलने वाली गर्म गैसों को ठंडा करने की विशेष प्रणाली (cooling system) शामिल थी। इन चुराई गई जानकारियों के आधार पर ही चीन ने J-31 को विकसित किया, जिससे उसकी स्टील्थ फाइटर क्षमता में अचानक उछाल आया।

2. CH-4B (चीन) vs MQ-9 Reaper Drone (अमेरिका): क्लोन ड्रोन का खेल!

चीन का CH-4B ड्रोन, अमेरिका के MQ-9 Reaper का लगभग क्लोन माना जाता है। दोनों ही ड्रोन में सामने की तरफ nose-mounted sensor turret लगा होता है, जिसमें दिन और रात के ऑपरेशन के लिए daytime और infra-red कैमरे शामिल हैं। CH-4B के पास 6 एक्सटर्नल हार्ड पॉइंट्स हैं, जिन पर यह लगभग 770 पाउंड तक हथियार ढो सकता है। यह फायरपावर अमेरिका के Reaper की तरह है। हालांकि, CH-4B का इंजन Reaper से कमजोर है और इसकी पेलोड क्षमता भी कम है। चीन ने इस तकनीक को न सिर्फ कॉपी किया, बल्कि रणनीतिक रूप से उसे अपने अनुसार ढाला।

3. Y-20 (चीन) vs Boeing C17 Globemaster (अमेरिका): ‘नकलची’ ट्रांसपोर्ट प्लेन!

चीन का Y-20 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन, अमेरिका के C-17 Globemaster III की एक जबरदस्त कॉपी माना जाता है — न सिर्फ आकार और कार्गो कैपेसिटी में, बल्कि डिज़ाइन लेआउट तक में। रिपोर्ट्स के मुताबिक, Y-20 का विकास उन्हीं चोरी किए गए बोइंग डिज़ाइनों के आधार पर हुआ है जो C-17 के थे। 2009 में एक पूर्व Boeing कर्मचारी को C-17 और अन्य प्लेन्स, रॉकेट, हेलिकॉप्टर की तकनीकी जानकारियाँ चीन को बेचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, जिससे इस कॉपी की पुष्टि और मजबूत होती है। हालांकि, अमेरिकी C-17 में जहां Pratt & Whitney का हाई-परफॉर्मेंस टर्बोफैन इंजन लगा होता है, वहीं Y-20 में पुराना रूसी Soloviev D-30 इंजन उपयोग किया गया है, जो ताकत, ईंधन दक्षता और भरोसेमंदी में काफी पीछे है। इससे साफ होता है कि चीन ने भले ही डिज़ाइन चुराया हो, लेकिन तकनीकी क्षमता में वह अभी भी अमेरिका से बहुत दूर है।

4. Type 96 (चीन) vs T-72 Tank (सोवियत संघ): रूसी टैंक का चीनी अवतार!

चीन का Type 96 टैंक, रूस के T-72 टैंक की तरह दिखता है और तकनीक में भी बहुत कुछ वैसा ही है। इसमें 125mm की मुख्य तोप, अपने आप गोलियां लोड करने वाली सिस्टम (ऑटोमैटिक लोडर), और रूसी टैंकों से ली गई सुरक्षा तकनीक जैसे कि मजबूत आर्मर और रक्षक सिस्टम लगाए गए हैं। टैंक के सामने वाले हिस्से यानी ग्लेसिस प्लेट पर विस्फोटक रिएक्टिव आर्मर (ERA) और टॉवर के सामने ऐड-ऑन आर्मर लगाया गया है, जो रूस के पुराने T-72A टैंक के ‘Super Dolly Parton’ जैसे डिज़ाइन की याद दिलाता है। T-72 की डिजाइनिंग 1960 के दशक में हुई थी, जबकि Type 96 को चीन ने 1990 के दशक में तैयार किया। दोनों की ताकत और हथियार क्षमता करीब-करीब बराबर है। ये साफ दिखाता है कि चीन ने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए दूसरे देशों की तकनीक की नकल कर अपने टैंक बनाए — इनोवेशन कम, कॉपी ज़्यादा।

5. Shenyang J-11 (चीन) vs SU-27 (रूस): रूसी फाइटर जेट का चीनी ‘अवतार’!

Shenyang J-11 चीन का ऐसा लड़ाकू विमान है जिसे रूस के Sukhoi Su-27 “Flanker” की नकल करके बनाया गया है। शुरुआत में रूस ने चीन को इसकी कॉपी बनाने की इजाज़त दी थी, लेकिन बाद में चीन ने इसमें अपनी तकनीक और सिस्टम (avionics) लगाकर इसे अपने तरीके से बदल दिया, जिससे रूस को नुकसान भी हुआ और यह एक तकनीकी सिरदर्द बन गया। J-11B मॉडल में रूस के Su-27SK का ढांचा (airframe) इस्तेमाल हुआ है, लेकिन उसके अंदर के सिस्टम चीन में बनाए गए हैं। रेंज, रफ्तार और वज़न के मामले में J-11 और Su-27 लगभग एक जैसे हैं। यह दिखाता है कि चीन ने पहले तो तकनीक ली, फिर उसे अपने हिसाब से बदल लिया।

6. CAIC-Z10 (चीन) vs AH-64 Apache (अमेरिका): अपाचे की चीनी कॉपी!

चीन का CAIC Z-10 अटैक हेलिकॉप्टर दिखने में अमेरिका के AH-64 Apache की तरह लगता है और कई मामलों में उसकी खूबियों की नकल करता है। Z-10 की मारक दूरी करीब 805 किलोमीटर है, जो कि Apache की 476 किलोमीटर रेंज से ज़्यादा है। हालांकि, Apache ज़्यादा तेज़ उड़ता है और ज़्यादा घातक भी है। Z-10 का डिज़ाइन न सिर्फ Apache से मेल खाता है, बल्कि यह Bell कंपनी के नए स्टेल्थ जैसे Invictus Future Attack Reconnaissance हेलिकॉप्टर से भी मिलता-जुलता है। इसकी ढलान वाली टैंडम कॉकपिट, संकरी आगे की बनावट, नीचे लगी गन, और बाहरी हथियार ले जाने वाले पंख इसे Apache की तरह ही बनाते हैं। यह साफ दिखाता है कि चीन ने एक बार फिर अमेरिकी तकनीक को आधार बनाकर अपना सैन्य प्लेटफॉर्म तैयार किया है — जिससे मौलिकता की बजाय कॉपी की छवि सामने आती है।

चीन की सैन्य प्रगति भले ही दुनिया को चौंकाती हो, लेकिन उसके पीछे की कहानी में अक्सर चोरी, साइबर हैकिंग और तकनीकी नकल की परछाई दिखाई देती है। ड्रोन से लेकर जेट फाइटर, टैंक से लेकर ट्रांसपोर्ट प्लेन और हेलिकॉप्टर तक — चीन का हर बड़ा हथियार कहीं न कहीं किसी दूसरे देश की ऑरिजिनल टेक्नोलॉजी से मेल खाता है। ऐसे में सवाल उठता है: क्या चीन की ताकत वाकई उसकी खुद की है, या यह एक “कॉपी-पेस्ट साम्राज्य” है जो दूसरे देशों की मेहनत पर खड़ा हुआ है? आज जब वैश्विक सुरक्षा, तकनीकी श्रेष्ठता और सैन्य आत्मनिर्भरता की बात होती है, तब चीन की यह रणनीति न केवल नैतिक सवाल उठाती है, बल्कि भविष्य के युद्धों की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी खतरे की घंटी बजाती है।

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