भोपाल। देश के 29 राज्यों की राजधानियों में भोपाल न सिर्फ सबसे स्वच्छ राजधानी है, बल्कि इस श्रेणी में देश के पहले पायदान पर भी है। नगर निगम ने इसके लिए पूर्व निर्धारित रूपरेखा के आधार पर काम किया। इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम ने नए प्रयोग भी किए। इसमें अंडर ग्राउंड डस्टबिन, होम कम्पोस्ट यूनिट, गंदी बस्तियों व सड़क किनारे खूबसूरत रंगरोगन जैसी नई कवायदों ने शहर को देश में पहचान दिलाई है।
शहर में इन पर हुआ काम
डस्टबिन फ्री शहर
अंडर ग्राउंड डस्टबिन लगाकर शहर को डस्टबिन फ्री किया गया। अब शहर में 120 से अधिक अंडर ग्राउंड डस्टबिन इंस्टॉल किए जा चुके हैं। इस पर भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (बीसीएससीडीसीए) 13 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।
खूबसूरत रंगरोगन
शहर की गंदी बस्तियों को रंग-रोगन करके खूबसूरत बनाया गया। इसके लिए 25 झुग्गी बस्तियों को चिन्हित किया। इसके अलावा शहर के 36 ऐसे स्थानों को भी सुंदर बनाया गया, जहां लोग कचरा फेंकते हैं। कचरा घर वाली जगहों को भी पेंट करके वहां गमले और कुर्सियां रखवाई गईं। इसके पीछे ये सोच है कि लोग गंदे स्थानों पर ही कचरा फेंकते हैं, यदि उस जगह को सुंदर और आकर्षक बना दिया जाता है तो लोग साफ-सुथरे स्थान पर कचरा फेंकना बंद कर देंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट पर निगम करीब 2 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।
होम कम्पोस्ट यूनिट
शहर में 20 हजार घरों में होम कंपोस्ट यूनिट लगाने का लक्ष्य है। अब तक दस हजार से ज्यादा आंकड़ा पूरा हो चुका है। निगम तीन डस्टबिन उपलब्ध करा रहा है। इसकी कीमत 950 रुपए है। जिस पर निगम 50 फीसदी सब्सिडी दे रहा है। यानी लोगों को यह 475 रुपए ही दिया जा रहा है। निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने पर डस्टबिन से अधिकतम 40 दिनों में खाद बनकर तैयार हो जाएगी। इससे घर में ही गीला कचरे से खाद बन सकेगी। सिर्फ सूखा कचरा निगम को देना होगा।