भोपाल। डीजल चोरी रोकने और चोरों की पहचान करने के लिए नगर निगम ने अपने वाहनों को व्हीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) से लैस कर दिया है। इसके लिए उसे सालाना डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। ये तकनीक काम कर रही है और हर महीने डीजल चोरों की कुंडली भी बनाई जा रही है। अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस भी थमाए जा रहे हैं, बावजूद दो साल में किसी एक पर भी कार्रवाई नहीं हुई।
किसी ने नोटिस का जवाब भी नहीं दिया, जबकि जवाब के लिए सात दिन का समय दिया गया था। अब ये अधिकारी-कर्मचारी खुद को पाक-साफ बताते हुए जीपीएस रिपोर्ट को ही गलत ठहरा रहे हैं। निगम आयुक्त छवि भारद्वाज ने 17 अगस्त 2017 को लिंक रोड नंबर तीन स्थित निगम के डीजल टैंक में छापा मारकर टैंक सहित नगर निगम के वाहनों से हर महीने होने वाली 4000 से 5000 लीटर डीजल चोरी पकड़ी थी। इसके बाद डीजल टैंक पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। सभी वाहनों को व्हीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम (वीटीएमएस) की निगरानी में लाने के लिए उनमें जीपीएस लगवा दिए। वर्तमान में निगम के 775 वाहनों में जीपीएस लगा है। इन वाहनों की ट्रैकिंग रिपोर्ट हर महीने आयुक्त, अपर आयुक्त और डीजल टैंक प्रभारी के पास जाती है। रिपोर्ट के आधार पर दो सालों में तीन बार कभी 50 तो कभी 80 अफसरों को नोटिस थमाए गए, लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।
सात दिन में देना था जवाब, दो साल बाद भी नहीं दिया
दिलचस्प बात यह है कि डीजल चोर अधिकारियों और कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्होंने पिछले दो सालों में किसी नोटिस का जवाब नहीं दिया। जबकि आयुक्त नगर निगम ने उनसे सात दिन में जवाब मांगा था।
चार आयुक्त बदले, किसी ने नहीं की कार्रवाई
डीजल चोरी को पकड़ने वाली तत्कालीन आयुक्त छवि भारद्वाज कोई कड़ी कार्रवाई करतीं, इससे पहले उनका तबादला हो गया। फिर नगर निगम की कमान तत्कालीन आयुक्त प्रियंका दास ने संभाली, लेकिन उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की। इनके जाने के बाद अविनाश लवानिया आए। उनके कार्यकाल में भी सिर्फ नोटिस थमाने तक ही कार्रवाई सीमित रही और अब निगम की कमान आयुक्त बी विजय दत्ता के पास है। उन्होंने भी 21 फरवरी को 60 से ज्यादा नोटिस जारी किए। सभी से सात दिनों में जवाव तलब किया था, लेकिन सिर्फ जोन एक के एएचओ को छोड़ अब तक किसी ने जवाब नहीं दिया।