भोपाल। जबलपुर मैं मौजूद सिविल लाइन मस्जिद को हटाने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया था, जिसकी अपील मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में की थी। बोर्ड का तर्क था कि वक्फ बोर्ड को सुने बिना ही हाई कोर्ट ने मस्जिद को हटाने का फैसला कर दिया। जबकि वे मस्जिद सिविल लाइन जबलपुर वक़्फ़ संपत्ति है।
सिविल लाइन मस्जिद का मामला वर्ष 2012 से हाई कोर्ट में चल रहा है, हालांकि मस्जिद से जुड़े सभी दस्तावेज 11 एनओसी के साथ मौजूद है। इस मामले में न्यायालय ने जबलपुर कमिश्नर से जांच रिपोर्ट तलब की थी। जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने मस्जिद हटाय जाने के आदेश कर दिए। इस मामले में लगभग 10 दिन पहले नगर निगम का भारी भरकम अमला सुबह से ही कार्यवाही के लिए मौके पर पहुंच गया। खबर फैलते ही आक्रोशित भीड़ मौके पर पहुचने लगी। इस गंभीर मामले को शांत कराने में अधिवक्ता राशिद सोहेल सिद्दीकी ( फॉर्मर अस्सिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल) और
वक्फ बोर्ड प्रशासक निसार अहमद की अहम भूमिका रही। डिविजनल मेजिस्ट्रेट से लेकर कलेक्टर की जानकारी में लाया गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। अधिवक्ता राशिद सोहेल सिद्दीकी ने बताया कि शासन ने मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने की रिपोर्ट भेज दी थी। इस मामले में वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करते हुए कहां गया था की हाई कोर्ट ने बोर्ड को नहीं सुना ना ही अपना पक्ष रखने का मौका दिया। लिहाजा सिविल लाइन मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश पारित कर दिया है।