अंकुश विश्वकर्मा
हरदा/ वैसे तो जिले मै कई जगह माँ गणगौर को पावनी बुलाई जाती है।कार्यक्रम आयोजन की तैयारी के लिऐ सजने लगे गणगौर माता के पंडाल ।नौ दिन तक चलेगा गणगौर के जस रात मै पुरूष मंडिलीयो दारा गीतो के साथ झालरे स्वांग दिन मै महिलाओं मंडिलीयो दारा पाती जिसमै स्वांग झालरे गीत। भुआणा क्षेत्र की अलग पहचान बन चुका क्षेत्र का गणगौर उत्सव 30 मार्च से प्रारंभ होगा इस दिन दूसरे सावे का गणगौर उत्सव का शुभारंभ खड़ा स्थापना के साथ किया जाता है। जिस परिवार में माता गणगौर पावनी बुलाई जाती है। उस परिवार के पूरे सदस्य एवं महिलाएं गोरनिया बनती हैं ।वे सभी मां नर्मदा में स्नान करने के पश्चात यह उत्सव उस के दूसरे दिन से प्रारंभ होता है जिस उत्सव को लेकर जिस जिस परिवार में माता गणगौर पावनी बुलाई जाती है। उस परिवार द्वारा पांडव को आकर्षण रूप से सजाया जाता है एवं दूधिया रोशनी वाली टिमटिमाते लाइटिंग से सजाया जाता है। जो पूरे 9 दिन आकर्षण का केंद्र बना रहता है आयोजक परिवार मां गणगौर अर्थात रणू बाई को अपने यहां पावनी बुलाते हैं ।एवं 9 दिन तक पवित्र भाव से पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ मां भगवती का पूजा अर्चना कर सेवा की जाती है। एवं रणुबाई धनियर राजा के साथ भावपूर्ण सेवा की जाती है। 9 दिन तक सेवा मां द्वारा मां गणगौर और धनियर राजा की सेवा की जाती है। उसी घर मै वही पर जवारे भी बोए जाते हैं । भुवाणा गणगौर उत्सव में माता रानी के दरबार में दूर दराज से आमंत्रित मंडलियां कार्यक्रम देने आती हैं। एवं गणगोर के शानदार गीतो झालरें एवं स्वांगों से दर्शकों का मन मोह लेते हैं बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति देते हैं। जिन्हें देखने के लिए आसपास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में मां के भक्तों दरबार में पहुंचते हैं। और कार्यक्रम का आनंद लेते हैं दिन में भी उसी प्रकार दूर दराज से आई हुई महिलाओं की मंडलियां भी पाती खेलने आती है। और उसी प्रकार स्वांग मां गणगौर के गीत एवं झालरें देकर मां की 9 दिन इसी प्रकार सेवा करती हैं ।अंत में प्रसाद रूपी मेवा वाटा जाता है। यह गणगौर महोत्सव का आयोजन निवाड़ क्षेत्र में परंपरा थी इसी परंपरा को अब सभी जगह बड़ी ही धूमधाम से और भक्ति भाव से यह आयोजन किया जाता है। इस नौ दिवसीय कार्यक्रम को बेटी के विवाह की रस्म की तरह यह आयोजन आयोजित होता है। अंत मै विशाल भंडारे के साथ राजा धनियर और गणगौर माता की बिदाई दी जाती है।