नरेन्द्र मोदी पुनः प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, मोदी को फिर से पीएम बनवाने के इरादे जाहिर करके मुश्किल में पड़ गए हैं और यदि इस मामले में कार्रवाई होती है, तो उनका राज्यपाल पद जा सकता है.
उधर, भाजपा के समर्थन में बयानबाजी के चलते राज्यपाल कल्याण सिंह को पद से हटाने के लिए एडवोकेट पूनम चंद भंडारी ने हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की है. इस याचिका में केन्द्र सरकार के कैबिनेट सचिव और निर्वाचन आयुक्त को पक्षकार बनाया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत होती है और वे आर्टिकल 159 के तहत शपथ लेते हैं, परन्तु राज्यपाल कल्याण सिंह ने 23 मार्च 2019 को अलीगढ़ दौरे के दौरान स्वयं को भाजपा का कार्यकर्ता करार देते हुए मोदी को फिर से पीएम बनने की इच्छा व्यक्त की थी.
अब आचार संहिता उलंघन के मामले में कल्याण सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल कल्याण सिंह ने 23 मार्च 2019 को यूपी के अलीगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने की अपील की थी.
इस मामले को चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू रहने के दौरान संवैधानिक पद पर प्रतिष्ठित व्यक्ति का राजनीतिक बयान माना और इसके बाद चुनाव आयोग ने इस मामले में अलीगढ़ के जिलाधिकारी से इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी.
इसकी जांच में सिंह के खिलाफ आरोप को सही पाया गया, तो इसे आवश्यक कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया गया.
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने अपने इस कथित बयान में कहा था कि- हम सभी लोग भाजपा के कार्यकर्ता हैं. मोदी जी दुबारा प्रधानमंत्री बनें.
यदि इस प्रकरण में तेजी से कार्रवाई होती है तो नरेन्द्र मोदी के पुनः प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कल्याण सिंह राज्यपाल पद से हटाए जा सकते हैं.