भोपाल। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हुए 32 दिन गुजर गए, इस एक माह की समयावधि में कलेक्टर कार्यालय से आम जनता नदारद रही ये कार्यालय सिर्फ अधिकारियों को प्रशिक्षण केन्द्र बनकर रह गया। मीटिंग दर मीटिंग और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के चलते जनता के काम काज अटके पड़े हैं। हालत ये हो गई है कि अब लोगों ने भी कलेक्ट्रेट के चक्कर काटना बंद कर दिया है।
मालूम हो कि बीते मार्च माह की 10 तारीख को देशभर में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ आचार संहिता लागू हो गई। इसके साथ ही जिला प्रशासन का स्वरूप बदलकर निर्वाचन कार्यालय में तब्दील हो गया। इसके बाद शुरू हुआ बैठकों का दौर, अब तक तकरीबन 40 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं और जिनमें प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल थे। जिनमें वोटर लिस्ट में मतदान केन्द्रों की बेहतर व्यवस्थाओं और मतदान संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुए।
इस चुनावी कवायद के बीच आमजनों की समस्याएं अटककर रही गई हैं। आचार संहिता के लागू होने के बाद से जनसुनवाई पर रोक लगा दी गई थी। जिसके कारण हर माह खासी तादाद में विभिन्न समस्याओं से जुड़े आवेदनों के आने का सिलसिला बंद हो गया। सिर्फ शिकायती आवेदनों पर ही रोक नहीं लगी अपितु इसके साथ ही पूर्व में दिए गए शिकायती आवेदनों पर भी कार्रवाई का सिलसिला धीमा होते-होते थम गया।
इसी प्रकार आचार संहिता के कारण बीपीएल के रशन कार्डों पर भी रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद अब गरीबी रेखा के आवेदन के लिए भी आचार संहिता के खत्म होने का इंतजार करना होगा।
इसके अलावा अन्य कामों की रफ्तार भी धीमी है, क्योंकि ज्यादातर अमला प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कार्य में लगा हुआ है।