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जिला प्रशासन लगा चुनाव तैयारियों में और इधर धड़ल्ले से हो रहे बाल विवाह.

बाल विवाह की रोकथाम क्या प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी नहीं

आलीराजपुर। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन इन दिनों अपनी पूरी ताकत चुनाव में शत-प्रतिशत मतदान हेतु प्रचार-प्रसार में झोक रहा है। दूसरी ओर उसका जिले की अन्य व्यवस्थाओं की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। इसी में एक प्रमुख सामाजिक बुराई बाल विवाह। जो इन दिनों जिले में ढेर सारी शादियों के बीच हो रहे है। जिले के मुख्य बाजारों में खुलेआम नाबालिग दुल्हा-दुल्हन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से बाराती शहरी एवं नगरीय क्षेत्रों में आ रहे है। लेकिन ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन चुनाव कार्यो में इतना मशगूल है कि उसने इस ओर पूरी तरह से आंखे मूंद ली है। देखकर भी प्रशासनिक अधिकारी- कर्मचारी इस ओर अनदेखी कर रहे है। उधर ऐसे में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी धड़ल्ले से बाल विवाह संपन्न हो रहे है। इस तरह से जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन शासन के नियमों की भी अनदेखी कर रहा है। चुनाव ड्यूटी के नाम पर अपने मूल कर्तव्य की इतिश्री की जा रहीं है। आज एक नाबालिग दुल्हा जिला मुख्यालय पर बाजार में घूमता दिखाई दिया। जब दुल्हें से हमने बात करने की कोशिश की तो इतने में उसके दो साथी आए और चिल्लाते हुए उसे बाईक पर बैठाकर चले गए। आसपास के कुछ व्यापारियों ने बताया कि ऐसे दुल्हें तो रोज बाजार में आ रहे हैं। अब ऐसे में प्रशासन को यह स्मरण करना चाहिए कि क्या ऐसे नाबालिग दुल्हें शादी कर अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए आगे चलकर बाल श्रम (मजदूरी) करने को बाध्य नहीं होंगे। कम उम्र में पढने-लिखने की बजाय उसे अपनी पत्नि एवं बच्चों के पालन-पोषण के लिए मजदूरी करने को विवश होना पड़ेगा। जिला प्रशासन , पुलिस प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बाल विवाह को रोकने के लिए धरातल स्थल पर प्रयास कर इस पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाए।

अभी तक नहीं हुई कंट्रोल रूम की स्थापना

बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिस
महिला एवं बाल विकास विभाग एवं महिला सशक्तिकरण विभाग कि सबसे पहले जिम्मेदारी होती है। उस विभाग की ओर से अब तक कंट्रोल रूम ही स्थापित नहीं किया गया है। अगर कंट्रोल रूम की स्थापना हो जाती है और उसमें अगर अधिकारीयों के दूरभाष नंबर मिल जाते तो इस बाल विवाह अपराध को रोके जा सकने में भी मदद मिलती।

क्या है सही उम्र और कानून

लाडो अभियान अन्तर्गत विवाह के समय लडके की उम्र 21 वर्ष एवं लडकी की उम्र 18 वर्ष होना चाहिए। नाबालिक उम्र में शादी करने से उनके शारीरिक, मानसिक, आर्थिक इत्यादि सभी रुप में घातक साबित होती है। बाल विवाह कानूनन अपराध है। इसके लिये बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2006 प्रभावी है। इसके अन्तर्गत बाल विवाह करने वालो को 02 वर्ष तक का कारावास एवं एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

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