लोकसभा 2019 के छठे चरण में 7 राज्यों की 59 सीटों पर रविवार को 63.91% वोटिंग हुई। मप्र में तीसरे चरण के लिए आठ लोकसभा सीटों पर 65.26 प्रतिशत मतदान हुआ। देश की सबसे चर्चित सीट बन चुकी भोपाल लोकसभा सीट में 65.69 फीसदी मतदान हुआ है। जहाँ पिछले लोकसभा चुनाव में 57.79 फीसदी मतदान हुआ था। इससे पहले 1977 में इमरजेंसी के बाद और 1999 में 60 प्रतिशत से ज़्यादा मतदान दर्ज किया गया था।1957 में भोपाल में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस की मैमुना सुल्तान जीती थीं। इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में 60% से ज्यादा वोटिंग हुई थी, जिसमें भारतीय लोकदल के आरिफ बेग विजयी हुए थे। इसके अलावा केवल 1999 में 60% से ज्यादा वोटिंग हुई। जिसमें उमा भारती ने कांग्रेस के सुरेश पचौरी को हराया था। लोकसभा क्षेत्र भोपाल में आने वाली सभी आठ विधानसभा सीटों पर वोट प्रतिशत बढ़ा है। जबकि इसके उलट विधानसभा चुनाव से सिर्फ भोपाल उत्तर को छोड़कर बाकी सातों सीटों पर वोट प्रतिशत घटा था।
मतदान सुर्खियां:-
अचानक आई बारिश से मतदान कर्मियों को हुई परेशानी
मतदान दल ईवीएम लेकर लौटा ही था कि अचानक बारिश शुरू हो गई। ईवीएम को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें कुर्सियों और ईवीएम कंपाउंड का सहारा लेना पड़ा। मिली ख़बरों के अनुसार ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें देर रात पुरानी जेल स्थित स्ट्रांग रूम में रखवा दिया गया है।
पिछले विश्लेषण:-
छठे चरण में जिन 59 सीटों पर वोटिंग हुई है, उन सीटों पर 2014 में 64.95% वोटिंग हुई थी। 2014 में 2009 की तुलना में 9.24% ज्यादा वोटिंग हुई थी। ट्रेंड फॉलो करें तो पता चलता है के वोटिंग का प्रतिशत बढ़ने से भाजपा को काफी सीटों का फायदा हुआ है 2014 में 9.24% वोटिंग ज्यादा होने पर भाजपा को इन 59 सीटों पर 32 सीटों का फायदा हुआ, जबकि कांग्रेस को 20 सीट का नुकसान हुआ था। 2009 में कांग्रेस को इन 59 सीटों में से 22 पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 12 सीट मिली थी। सबसे ज्यादा राजगढ़ में 74.22 % सबसे कम भिंड में 54.57% वोटिंग हुई.
दिग्विजय सिंह नहीं डाल पाए वोट।
दिग्विजय सिंह रविवार को वोट नहीं डाल पाए। वे राघौगढ़ विधानसभा से वोटर हैं। उन्होंने राघौगढ़ जाने के लिए आयोग से हेलिकाॅप्टर की परमिशन मांगी थी, जो उन्हें नहीं मिली।
