अग्रसर इंडिया नेशनल डेस्क
हैदराबाद/श्रीनगर, 25 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने जुमे की नमाज के दौरान मुसलमानों से हाथों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताने की अपील की। ओवैसी ने खुद हैदराबाद के शास्त्रीपुरम पुराने शहर की एक मस्जिद में नमाज-ए-जुमा से पहले काली पट्टी बांटकर और पहनकर अपना विरोध दर्ज कराया।
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी अपनी अपील साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए आतंकी हमले के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के लिए जुमे की नमाज के दौरान लोग अपने हाथों पर काली पट्टी बांधें।
महबूबा मुफ्ती ने धार्मिक नेताओं से की दुआ की अपील
वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए दुआ करने की अपील की है। उन्होंने कश्मीर के धार्मिक नेताओं से इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के परिवारों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।
महबूबा मुफ्ती ने हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के मुख्य इमाम मीरवाइज उमर फारूक को श्रीनगर की जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति देने के अधिकारियों के फैसले का भी स्वागत किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि “इस गहरे दुख की घड़ी में मीरवाइज उमर फारूक साहब को जामिया मस्जिद में नमाज की अगुआई करने की अनुमति देना एक बेहद जरूरी और स्वागत योग्य कदम है।”
उन्होंने जुमे के दिन मीरवाइज सहित सभी इमामों और धार्मिक नेताओं से पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए दुआ करने की अपील की। उन्होंने कहा, “आइए, हम सब एक समुदाय के रूप में अपने हाथ उठाएं, दिवंगत आत्माओं की शांति, उनके परिवारों को शक्ति और हमारे क्षेत्र में स्थायी अमन और सुकून के लिए दुआ करें।”
मीरवाइज के कार्यालय ने भी ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि उन्हें जुमे की नमाज के लिए जामिया मस्जिद जाने की अनुमति दी गई है। लगातार चार शुक्रवार की पाबंदियों के बाद प्रशासन ने यह फैसला लिया है।
पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर में शांति और सुरक्षा की स्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। ओवैसी और महबूबा मुफ्ती की अपील इस मुश्किल समय में पीड़ितों के परिवारों के प्रति एकजुटता और सहानुभूति जताने का प्रयास है।