भोपाल, 5 जून 2025 — मध्यप्रदेश में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े ने देशभर की बायोमेट्रिक आधारित परीक्षाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों ने आधार में बायोमेट्रिक अपडेट कर साल्वर को परीक्षा दिलवाई और बाद में पहचान दोबारा बदल ली। अब तक 9 जिलों में 21 एफआईआर, और 24 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
📌 हाइलाइट्स
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अभ्यर्थियों ने बायोमेट्रिक बदलकर साल्वर से दिलवाई परीक्षा
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UIDAI और पुलिस ने शुरू की संयुक्त जांच
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कांग्रेस ने की CBI जांच की मांग, विपक्ष ने सरकार को घेरा
कैसे हुआ आधार घोटाला?
पुलिस और UIDAI की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुछ उम्मीदवारों ने परीक्षा से पहले आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेट करवा कर किसी दूसरे व्यक्ति (साल्वर) का फिंगरप्रिंट और फोटो जुड़वाया। इससे साल्वर बिना किसी बाधा के परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर सका।
परीक्षा के बाद असली उम्मीदवार ने फिर से आधार अपडेट करवा कर खुद की बायोमेट्रिक पहचान बहाल कर ली, और अगले चरण — शारीरिक दक्षता परीक्षण — में शामिल हुआ। इस चक्रव्यूह के ज़रिए अभ्यर्थी आसानी से चयन प्रक्रिया पार कर गए।
कहां-कहां दर्ज हुए मामले?
अब तक मध्यप्रदेश के शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, इंदौर, आलीराजपुर, मुरैना, राजगढ़, शहडोल और दतिया में एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। गिरफ्तार आरोपियों में से एक बिहार का निवासी है, वहीं आधार अपडेट कराने में छत्तीसगढ़ के एक निजी ऑपरेटर की भूमिका भी सामने आई है — जिससे यह पूरा मामला अंतरराज्यीय गिरोह की ओर इशारा करता है।
UIDAI की प्रणाली पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि आधार बायोमेट्रिक अपडेट के नियमों में लचीलापन इस घोटाले की जड़ है। वर्तमान में बायोमेट्रिक अपडेट के लिए किसी दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह प्रणाली दुरुपयोग के लिए आसान लक्ष्य बन जाती है।
UIDAI अधिकारियों और पुलिस विभाग ने मिलकर एक संयुक्त जांच शुरू कर दी है। अब ऐसे अभ्यर्थियों की पहचान की जाएगी, जिन्होंने कई बार बायोमेट्रिक अपडेट कराया — लेकिन इसके लिए उम्मीदवार की सहमति की आवश्यकता UIDAI की प्रक्रिया को धीमा बना सकती है।
राजनीतिक तूफान: कांग्रेस की CBI जांच की मांग
मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए CBI जांच की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा — “यह सिर्फ भर्ती नहीं, विभागीय मिलीभगत का मामला है। मुख्यमंत्री की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।”
कुछ पूर्व पुलिस अधिकारियों और कांग्रेस नेताओं ने SIT (विशेष जांच दल) के गठन की भी मांग की है।
सिस्टम फेल? जरूरी रिफॉर्म्स की मांग
विशेषज्ञों और सायबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस फर्जीवाड़े के बाद कई संरचनात्मक सुधारों की सिफारिश की है:
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बायोमेट्रिक अपडेट के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं
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परीक्षा एजेंसियां केंद्र पर वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटो रेकॉर्ड अनिवार्य करें
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आधार केंद्र ऑपरेटरों की जवाबदेही तय हो, नियमित ऑडिट हो
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नेशनल एग्ज़ाम सिक्योरिटी ऑडिट सिस्टम (NESAS) की स्थापना की जाए, जो परीक्षाओं की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करे
केवल एमपी ही नहीं, पूरे देश के लिए खतरे की घंटी
यह मामला अब केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है। रेलवे, बैंकिंग, एसएससी, शिक्षक भर्ती जैसी सैकड़ों परीक्षाएं आधार आधारित बायोमेट्रिक सिस्टम पर निर्भर हैं। अगर एक राज्य में इस तरह की सेंध संभव है, तो पूरे देश के परीक्षा तंत्र की सुरक्षा संकट में है।
आशंका जताई जा रही है कि आने वाले हफ्तों में अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आ सकते हैं।