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बैंकों में पड़े 78 हजार करोड़ रुपये के लावारिस फंड को सही मालिकों तक पहुंचाएगी सरकार, हर ज़िले में लगेंगे शिविर

नई दिल्ली: भारत के बैंकों में 78,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम लावारिस पड़ी है, जिस पर कोई दावा करने वाला नहीं है. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेगुलेटर्स और बैंकिंग विभागों को इस लावारिस रकम को उसके सही मालिकों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है.

दावा न किए गए जमाओं को वापस करने का निर्देश

वित्त मंत्री ने कहा है कि अब तक दावा न किए गए जमाओं को सही मालिकों को वापस करने और केवाईसी (KYC – अपने ग्राहक को जानो) प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम उठाए जाएं. उन्होंने ज़ोर दिया कि आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए और सही दावेदारों तक पहुंचने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री ने परिषद (वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद – FSDC) से सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया ताकि नागरिकों को वित्तीय क्षेत्र में केवाईसी से संबंधित प्रक्रियाओं के संबंध में सहज अनुभव मिल सके. इस दौरान भारतीय प्रतिभूति बाज़ार में भारतीय मूल के लोगों समेत अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए डिजिटल रूप से जोड़े जाने सहित केवाईसी प्रक्रिया के सामान्य मानदंडों, सरलीकरण और डिजिटलीकरण की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया.

हर ज़िले में लगेंगे विशेष शिविर

सीतारमण ने नियामकों और विभागों से ज़िला स्तर पर विशेष शिविर लगाकर दावा न किए गए धन को उसके सही मालिकों को लौटाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने का आग्रह किया है. यह अभियान भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA), पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) और भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के साथ-साथ बैंकों, पेंशन एजेंसियों और बीमा कंपनियों के तालमेल से चलाया जाना है. दावा न किए गए धन में बैंकों में जमा राशि के साथ ही दावा न किए गए शेयर एवं लाभांश और दावा न किए गए बीमा एवं पेंशन कोष भी शामिल हैं.

कितना पैसा पड़ा है बैंकों में लावारिस?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 के अंत तक बैंकों में दावा न की गई जमा राशि 26 फ़ीसदी बढ़कर 78,213 करोड़ रुपये हो गई थी. FSDC ने व्यापक वित्तीय स्थिरता से संबंधित मुद्दों और उनसे निपटने के लिए भारत की तैयारियों पर भी चर्चा की. परिषद ने घरेलू और वैश्विक वित्तीय स्थिति से उभरते रुझानों पर विचार-विमर्श किया और सतर्क रहने की ज़रूरत पर बल दिया. FSDC ने पिछले निर्णयों और बजट घोषणाओं को लागू करने के लिए रणनीति बनाने से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की.

बैठक में कौन-कौन थे शामिल?

वित्त मंत्री के साथ इस बैठक में RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के अलावा बाज़ार नियामक SEBI के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के अध्यक्ष के. राजारमण और भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) व अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी मौजूद रहे. FSDC की बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव अजय सेठ, आर्थिक मामलों के विभाग की मनोनीत सचिव अनुराधा ठाकुर, वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू, कॉरपोरेट मामलों की सचिव दीप्ति गौर मुखर्जी, राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव और वित्त मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे.

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