भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सामने आए सनसनीखेज रेप केस में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की जांच टीम ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अपनी रिपोर्ट में NCW ने कहा है कि आरोपी कथित तौर पर कई कॉलेजों की छात्राओं को एक ही तरीके से फंसा रहे थे – उन्हें प्यार का झूठा वादा करते थे, उनका रेप करते थे और बाद में पीड़ितों की आपत्तिजनक तस्वीरों का इस्तेमाल कर उन्हें ब्लैकमेल करते थे। जांच टीम ने भोपाल दौरे के दौरान कई गंभीर तथ्यों का पता लगाया है।
‘बड़े नेटवर्क’ और ‘धर्मांतरण’ की आशंका:
NCW ने अपनी रिपोर्ट में आशंका जताई है कि इस अपराध के पीछे एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है। इस नेटवर्क में छात्राओं का जबरन धर्मांतरण, रेप और ब्लैकमेलिंग शामिल थी। महिला पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भोपाल के एक कॉलेज में कुछ छात्रों ने छात्राओं का रेप किया और रेप का वीडियो बनाकर पीड़ित छात्राओं को ब्लैकमेल किया। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया।” रिपोर्ट में मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि आरोपियों ने पीड़ित छात्राओं पर दबाव डाला कि वे अपनी परिचित अन्य लड़कियों को इन आरोपियों से दोस्ती कराएं, नहीं तो उनका वीडियो सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
जांच समिति ने उन जगहों का भी दौरा किया, जहां आरोपियों ने पीड़ितों को ड्रग्स दिए और फिर उनके साथ अमानवीय कृत्य किए।
जांच समिति के प्रमुख निष्कर्ष:
NCW पैनल ने बताया कि आरोपी महंगे गिफ्ट, कपड़े और मोटरसाइकिल का वादा करके छात्राओं को लव ट्रैप में फंसाते थे। रिपोर्ट में कहा गया है, “लड़कियों को ड्रग्स दिए जाते थे, उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें ली जाती थीं और फिर उन्हीं तस्वीरों के जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था।”
पैनल ने यह भी बताया, “पीड़ित छात्राएं मानसिक और सामाजिक दबाव में हैं, फिर भी उन्होंने हिम्मत दिखाई और एफआईआर दर्ज कराई।”
जांच समिति ने एक महत्वपूर्ण बात और उजागर की। उन्होंने पाया कि आरोपियों के परिवारों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन उनकी जीवनशैली बहुत ही शानदार है। NCW ने सिफारिश की है कि “इस वजह से ड्रग्स तस्करी जैसे संगठित अपराध की संभावना की जांच की जानी चाहिए।”
धर्मांतरण और फंडिंग की जांच की सिफारिश:
NCW पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा, “आरोपियों का काम करने का तरीका एक साजिश नेटवर्क जैसा है। आरोपी लगातार पीड़ित छात्राओं पर धर्मांतरण के लिए भी दबाव डाल रहे थे। ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए राज्यव्यापी जांच की जा सकती है, और यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्या उन्हें किसी संगठन द्वारा फंडिंग मिल रही है।”
NCW ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति (जांच समिति) का गठन किया था। इस पैनल की अध्यक्ष निर्मल कौर (सेवानिवृत्त आईपीएस, झारखंड की पूर्व पुलिस महानिदेशक) थीं। निर्मला नायक (अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश) और आशुतोष पांडे (अवर सचिव, राष्ट्रीय महिला आयोग) इस समिति के सदस्य थे। इस पैनल ने 3 से 5 मई 2025 के बीच भोपाल का दौरा किया और पीड़ित छात्राओं, उनके परिवारों, संबंधित पुलिस स्टेशन क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों और संबंधित शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।