Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पूरे दम से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. इस क्रम में ओवैसी का बिहार दौरा महागठबंधन के लिए चुनौती के तौर पर सामने रहा है, क्…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- बिहार चुनाव को लेकर ओवैसी का दौरा महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी.
- बिहार में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है ओवैसी की AIMIM ?
- ओवैसी के प्लान पर मुस्लिम वोटोंं में बिखराव का डर दिखा रहा महागठबंधन.
पटना. क्या असदुद्दीन ओवैसी बदले की आग में जल रहे हैं? क्या बिहार में महागठबंधन को झटका देने वाले हैं असदुद्दीन ओवैसी? क्या असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने सीमांचल से लेकर मिथिलांचल तक खास प्लान तैयार कर लिया है? क्या बिहार की राजनीति में बड़ा खेल करने वाले हैं असदुद्दीन ओवैसी? दरअसल, ये सवाल बिहार के सियासी गलियारे में उठने शुरू हो गए हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव को देखते हुए एआईएमआईएम (AIMIM ) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बिहार के दो दिवसीय दौरा बहुत महत्वपू्र्ण माना जा रहा है. बिहार के मुस्लिम बहुल जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार के साथ ही उनकी नजर मिथिलांचल और चंपारण क्षेत्र की कुछ विधानसभा सीटों पर भी है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम सूत्रों से जो जानकारी सामने आई है इसके अनुसार, बिहार में 50 सीटों विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की तैयारी है, लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है.लेकिन, ओवैसी के बिहार दौरे से बिहार की राजनीतिक फिजा में गर्माहट आ गई है और खास तौर पर महागठबंधन खेमे में सियासी टेंशन अधिक है.
सीमांचल और मिथिलांचल से सारण तक नजर- दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी अपनी नजरें किन विधानसभा सीटों पर टिकाए हुए हैं, यह बात उनके दौरे के शेड्यूल से पता लगती है. शनिवार (3 मई) की शाम को असदुद्दीन ओवैसी किशनगंज में रहेंगे और पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे. यहां रात रुकने के बाद शनिवार को किशनगंज के बहादुरगंज में रैली करेंगे.इसे बद फिर वहां से मिथिलांचल की राजधानी कही जाने वाली दरभंगा पहुंच जाएंगे. वहां, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग करने के बाद चंपारण क्षेत्र में मोतिहारी चले जाएंगे. वहां रात में रुकेंगे फिर आगामी रविवार चार मई को मोतिहारी के ढाका में एक रैली को संबोधित करेंगे और वहां से वह गोपालगंज चले जाएंगे. फिर वहां पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक करेंगे और इसके बाद उसी क्षेत्र से होते हुए वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर चले जाएंगे.
बीते चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने बेहतर किया
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर असदुद्दीन ओवैसी का यह दौरा बेहद ही अहम मान जा रहा है, क्योंकि 2020 के लोकसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिन में 5 पर विजय प्राप्त की थी. इसके साथ ही कई सीटों पर राजद के उम्मीदवारों की हार का कारण असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ही बनी थी. लेकिन, बाद के समय में ओवैसी के पांच विधायकों में से चार एमएलए आरजेडी में शामिल हो गए थे जिसकी टीस असदुद्दीन ओवैसी को अभी है. अब जब पूरी तैयारी के साथ बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी अपनी तैयारी कर रहे हैं तो 18% आबादी वाली बिहार प्रदेश के मुस्लिम सियासत में हलचल मचनी तय मानी जा रही है.
सीमांचल की सियासत को में बड़ी हलचल की तैयारी
बता दें कि बिहार दौरे से आने आने से पहले असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बार सीमांचल की जनता वैसे लोगों को सबक सिखाएगी जिन्होंने उनकी पार्टी के विधायकों को चुराया था. उन्होंने यह बी दावा किया कि पिछली बार की तुलना में इस बार उनकी पार्टी और बेहतर प्रदर्शन करेगी. जाहिर तौर पर असदुद्दीन ओवैसी ने खुले तौर पर यह बता दिया है कि उनका टारगेट क्या है. ऐसे में राजनीति के जानकार ओवैसी के रुख को महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं. इतना ही नहीं जिस अंदाज में उन्होंने क्लियर किया है कि उनके विधायकों को तोड़ने वालों को सबक सिखाएंगे, यह कहीं न कहीं सीमांचल की सियायत में खलबली पैदा करने जा रहा है.
ओवेसी की पार्टी क्लिक कर गई तो हो जाएगा खेल!
राजनीति के जानकार बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में ओवैसी के खेल के कारण ही तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे. इस बार असदुद्दीन ओवैसी के प्लान के मुताबिक वह और बड़ी चुनौती पेश करने वाले हैं. जाहिर है इस चैलेंज को महागठबंधन, खास तौर पर आरजेडी बखूबी समझ रही है. राजद और कांग्रेस को इस बात का आभास है कि अगर ओवैसी क्लिक कर गए तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन खेमे को ही होगा. ऐसे में राजद ने तो अभी से दावा करना शुरू कर दिया है कि अगर असदुद्दीन ओवैसी अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं तो इसका सीधा उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव पैदा करना है.
ओवैसी की तकरीरों से काफी कुछ निकलकर आएगा
आरजेडी के नेता अभी से मुस्लिम समाज में मैसेज देने की कोशिश में लग गए हैं कि मुसलमानों का वोट बंटेगा तो इसका सीधा लाभ भाजपा और एनडीए गठबंधन को होगा. आरजेडी असदुद्दीन ओवैसी को वोटकटवा बता रही है. वहीं, दूसरी ओर प्रशांत किशोर और शिवदीप लांडे जैसे नेताओं की सियासी सक्रियता से बिहार की सियासत ने जिस तरह का रुख अख्तियार किया है, इससे ऐसा ही लगता है कि असदुद्दीन ओवैसी भी मानने वाले नहीं हैं. यह भी साफ है कि उनके निशाने पर बीजेपी तो होगी ही, लेकिन राजद और कांग्रेस को वह अपने विशेष टारगेट पर रखने वाले हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि असदुद्दीन ओवैसी की चुनावी तकरीरों (भाषण) से क्या निकाल कर आता है.