राफेल लड़ाकू विमान सौदे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजनीति की पिच पर शानदार बैटिंग की है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के दिन ही भाजपा को अपनी पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया। राहुल गांधी पिछले कुछ समय से लगातार अपने भाषण में कांग्रेस की सरकार बनने पर देश के नागरिकों के लिए न्यूनतम आय तय करने का जिक्र कर रहे थे। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद सरकार बनने पर गरीबों की 12 हजार रुपये की मासिक आय तय करने की घोषणा की और शाम तक मोदी सरकार के संकट मोचक केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को पार्टी का डायस संभालना पड़ा।
राहुल गांधी ने अपनी घोषणा में कहा कि वह लोगों के खाते में 15 लाख रुपये डालने जैसा झूठा वादा नहीं करते। इससे पहले कांग्रेस की सरकार ने लोगों न्यूनतम रोजगार देने का वादा किया था और मनरेगा के जरिए इसे पूरा किया। इस योजना पर भी वह पिछले चार-पांच महीने से काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के विख्यात अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम इसका रोड-मैप तैयार कर रहे हैं, कांग्रेस देश की जनता से किए गए इस वादे को पूरा करेगी।
शाम होते-होते सामने आए वित्त मंत्री जेटली
भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष के इस दांव की बारीकी को समझते देर नहीं लगाई। बताते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राहुल गांधी की इस घोषणा का अर्थ समझ रहे थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्जा माफ करने की कांग्रेस की घोषणा और उसका असर दोनों याद है। बताते हैं कांग्रेस अध्यक्ष की इस घोषणा के बाद शीर्ष स्तर पर मंथन के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली को संवाददाता सम्मेलन के लिए उतारा गया।
वित्त मंत्री जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष की गरीबी हटाने और गरीबों के नाम पर की गई घोषणा को लेकर कांग्रेस को घेरा। वित्त मंत्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय से लेकर इंदिरा गांधी के दौर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा लोक लुभावन घोषणाएं करके देश के गरीबों, लोगों के नाम से छल किया है। जेटली ने कहा कि इंदिरा गांधी ने भी 70 के दशक में गरीबी हटाओं का नारा दिया था। अब राहुल गांधी गरीबी को देश से हटाने की बात कर रहे हैं।
क्या भाजपा में बेचैनी है?
जब राहुल गांधी 24 अकबर रोड पर यह घोषणा कर रहे थे तो भाजपा मुख्यालय में मीडिया प्रभारी के कमरे की टीवी स्क्रीन पर कार्यक्रम लाइव देखा जा रहा था। बताते हैं पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस संवाददाता सम्मेलन को न केवल देखा बल्कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी इस पर चर्चा हुई। एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि चर्चा लाजिमी थी, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पार्टी की लोकसभा चुनाव 2019 में हताशा को देखकर देश की जनता को दिन में तारे दिखा रहे हैं।
समझा जा रहा है कि राहुल गांधी की इस घोषणा ने भाजपा के रणनीतिकारों को तंग कर दिया है। वैसे भी भाजपा को मध्य प्रदेश की मजबूत राजनीतिक जमीन पर विधानसभा चुनाव में अपनी हार अखर रही है। राजस्थान में हार-जीत का अंतर कम था। छत्तीसगढ़ में पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह मानने में कोई गुरेज नहीं है कि यदि किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न की होती, तो तीनों राज्य भाजपा की झोली में होते। भाजपा नेताओं की इस तिलमिलाहट पर कांग्रेस पार्टी की आईटी सेल के एक सदस्य का कहना है कि सोशल मीडिया देखिए। अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है। भाजपा हमारी पिच पर आकर खेल रही है।
अभी घोषणा पत्र आना बाकी है
सूचना यह भी है कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में कुछ ऐसे और वादे करने वाली है। घोषणा पत्र में होनहार छात्रों का शिक्षा ऋण माफ करने, गरीबों के इलाज के लिए पहल समेत कुछ अन्य से पर्दा उठना बाकी है। कांग्रेस अध्यक्ष इस तरह की घोषणा इस दलील के साथ कर रहे हैं कि मोदी सरकार ने अमीरों का कर्जा माफ किया, अनिल अंबानी को लाभ पहुंचाया तो वह देश के करीब, किसान, मजदूर के लिए यह कर रहे हैं। घोषणा पत्र अभी भाजपा का भी आना है।
समझा जा रहा है कि इस सप्ताह के अंत तक घोषणा पत्र आ जाएंगे। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मोदी जी का वादा करना और न निभाना देश की जनता जान चुकी है।