कोच्चि तट पर कंटेनर शिप में भीषण आग: मल्टी-एजेंसी टीम करेगी जांच, 4 क्रू मेंबर्स लापता
कोच्चि (केरल): केरल के कोच्चि तट पर सिंगापुर से आ रही एक कंटेनर शिप में लगी भीषण आग ने समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस घटना की तह तक जाने के लिए अब एक हाई-लेवल मल्टी-एजेंसी टीम का गठन किया गया है. इस टीम में डीजी शिपिंग डिपार्टमेंट, कोस्ट गार्ड, पोर्ट अथॉरिटी, कस्टम्स और केरल पुलिस के अधिकारी शामिल होंगे, जो मामले की गहनता से जांच करेंगे.
धमाके और आग के कारणों की जांच
सूत्रों के अनुसार, यह टीम घटना के कई प्रमुख पहलुओं की जांच करेगी. सबसे पहले यह पता लगाया जाएगा कि शिप में इतनी भीषण आग अचानक कैसे लगी और ऐसा बड़ा धमाका क्यों हुआ, जिससे जहाज में लदे 1000 से अधिक कंटेनर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. यह भी संदेह जताया जा रहा है कि धमाका जहाज के भीतर रखे खतरनाक रसायनों की वजह से हुआ हो सकता है.
पर्यावरण पर असर और बचाव की रणनीति
मल्टी-एजेंसी टीम इस बात की भी पड़ताल करेगी कि आग लगने के बाद कंटेनरों से रिसे केमिकल्स ने समुद्री जल और जलीय जीवन को कितना नुकसान पहुंचाया है. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि कई कंटेनरों में खतरनाक और ज़हरीले पदार्थ मौजूद थे. अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक, 1015 कंटेनर जहाज से गिर चुके हैं, जिनमें से कई में खतरनाक केमिकल्स थे. इनसे रिसने वाला तरल पदार्थ तटीय क्षेत्रों में फैल सकता है, जो समुद्री पारिस्थितिकी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है. टीम यह रणनीति भी तैयार करेगी कि रिसाव को कैसे रोका जाए और समुद्र तटों तक पहुंचने से पहले तरल पदार्थ को कैसे नियंत्रित किया जा सके. यदि ज़रूरत पड़ी तो आने वाले दिनों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की सहायता भी ली जा सकती है.
लापता क्रू मेंबर्स और सुरक्षा चिंताएं
फिलहाल इस हादसे में 4 क्रू मेंबर्स लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 22 को सुरक्षित बचा लिया गया है. राहत और खोजबीन अभियान जारी है. इस घटना ने न केवल तटीय सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि समुद्री ट्रांसपोर्ट में खतरनाक वस्तुओं के प्रबंधन को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है.
गौरतलब है कि बीते दो महीनों में केरल के तटीय इलाकों में यह दूसरी बड़ी समुद्री दुर्घटना है, जिसमें कार्गो शिप हादसे का शिकार हुआ है. इस पहलू की भी जांच की जाएगी कि क्या इन घटनाओं के पीछे कोई कॉमन फ़ेल्योर है या फिर समुद्री निगरानी में कोई चूक हुई है. फिलहाल, जांच शुरू हो चुकी है और विस्तृत रिपोर्ट आने तक शिपिंग कंपनियों और पर्यावरण एजेंसियों की निगाहें इस घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं.