भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना, जापान और हांगकांग भी कतार में; जानें क्यों हो रहा ऐसा
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भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना, जापान और हांगकांग भी कतार में; जानें क्यों हो रहा ऐसा

प्रकाशित तिथि: 31 मई, 2025

भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना, जापान और हांगकांग भी कतार में; जानें क्यों हो रहा ऐसा

अप्रैल में एशिया की सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक रहा भारतीय रुपया, मई में अप्रत्याशित रूप से **एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी** बन गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपये में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। इस सूची में जापान और हांगकांग जैसी प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं, जिनकी मुद्राएं भी कमजोर पड़ रही हैं। आखिर क्या हैं इसके पीछे के कारण?

मुख्य बिंदु

  • मई 2025 में भारतीय रुपया एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना।
  • अप्रैल में यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक था।
  • जापान और हांगकांग की मुद्राएं भी कमजोर पड़ रही हैं।
  • अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें एक प्रमुख कारण।
  • विदेशी निवेश का बाहर जाना और व्यापार घाटा भी रुपये की कमजोरी में योगदान दे रहा है।

नई दिल्ली: भारतीय रुपये का प्रदर्शन हाल के दिनों में चिंता का विषय बन गया है। जहां अप्रैल में रुपया 83.94 के स्तर पर पहुंचने के बाद काफी मजबूत दिख रहा था, वहीं मई में इसमें बड़ी गिरावट देखी गई। यह गिरावट डॉलर के मुकाबले 1.09 रुपये से अधिक की रही है, जिससे भारतीय रुपया एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं की श्रेणी में आ गया है।

रुपये की कमजोरी के मुख्य कारण:

  • **अमेरिकी डॉलर की मजबूती:** अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी की उम्मीदों और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर के मजबूत होने से अन्य मुद्राओं, जिनमें रुपया भी शामिल है, पर दबाव बढ़ता है।
  • **विदेशी निवेश का बाहर जाना (FII Outflows):** जब विदेशी निवेशक भारत से अपना पैसा निकालते हैं और अन्य देशों में निवेश करते हैं, तो डॉलर की मांग बढ़ती है, जिससे रुपये की कीमत गिरती है।
  • **व्यापार घाटा:** यदि देश का आयात, निर्यात से अधिक होता है, तो व्यापार घाटा बढ़ता है। आयात के लिए डॉलर की अधिक मांग रुपये को कमजोर करती है।
  • **कच्चे तेल की कीमतें:** भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 80% आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें डॉलर की मांग को बढ़ाती हैं, जिससे रुपये पर दबाव आता है।
  • **भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितताएं:** वैश्विक स्तर पर बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताएं निवेशकों को सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर धकेलती हैं, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जापान और हांगकांग भी कतार में:

भारतीय रुपये के साथ-साथ जापान और हांगकांग की मुद्राएं भी कमजोर प्रदर्शन कर रही हैं। जापान का येन हाल ही में काफी कमजोर हुआ है, जिसका एक कारण उसकी आर्थिक नीतियों और वैश्विक आर्थिक माहौल का प्रभाव है। हांगकांग भी चीन के साथ संबंधों और अपनी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक कारकों के प्रभाव के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है।

एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा के अनुसार, अमेरिकी डॉलर में तेज उछाल, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर आउटलुक में अप्रत्याशित बदलाव या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में देरी निकट भविष्य में रुपये के लिए आशावाद को कम कर सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हालांकि रुपये की गिरावट को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों पर नजर रख रहा है, लेकिन वैश्विक आर्थिक दबावों के कारण चुनौती बनी हुई है।

स्थान: नई दिल्ली (रिपोर्ट), भोपाल (स्थानीय संदर्भ)

 

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