चेन्नई, 6 जून 2025 — “सपनों की ऊंचाई गरीबी से नहीं, हौसले से तय होती है।” इस कहावत को सच कर दिखाया है तमिलनाडु के सलेम जिले की आदिवासी छात्रा ए. राजेश्वरी ने। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली 18 वर्षीय राजेश्वरी ने JEE एडवांस्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर IIT मद्रास में दाखिला हासिल किया है। उनकी सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय बन गई है।
बचपन से संघर्ष, फिर भी न टूटी उम्मीद
राजेश्वरी तमिलनाडु के करुमादुरई गांव की निवासी हैं और अप्पाकुडी जनजातीय समुदाय से आती हैं। उनके पिता स्वर्गीय औंदी, जो एक मजदूर थे, साल 2024 में कैंसर से उनका निधन हो गया। उनकी मां कविता, बागवानी का काम करके परिवार चलाती हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, राजेश्वरी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी।
सरकारी स्कूल से IIT मद्रास तक का सफर
राजेश्वरी ने सरकारी आवासीय विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और 600 में से 521 अंक हासिल किए। इसके बाद जेईई एडवांस परीक्षा में उन्होंने एसटी वर्ग में ऑल इंडिया रैंक 417 प्राप्त की। इस प्रदर्शन के दम पर उन्हें IIT मद्रास में दाखिला मिला।
सरकार की कोचिंग योजना बनी सहारा
राजेश्वरी ने बताया कि उन्होंने तमिलनाडु सरकार द्वारा संचालित जेईई कोचिंग योजना का पूरा लाभ उठाया। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने उनकी सफलता पर बधाई देते हुए ऐलान किया कि राज्य सरकार उनकी उच्च शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी। मुख्यमंत्री ने राजेश्वरी की दृढ़ता और मेहनत की सराहना भी की।
परिवार बना ताकत
राजेश्वरी के परिवार में उनकी मां कविता के अलावा, भाई श्रीगणेश (बीएससी गणित स्नातक), बहन जगतेश्वरी (रसायनशास्त्र में ग्रेजुएट) और छोटी बहन परमेश, जो फिलहाल 10वीं कक्षा की छात्रा हैं, शामिल हैं। पिता के निधन के बाद भी परिवार ने उनका हर कदम पर साथ दिया, जिससे वह पढ़ाई में पूरी तरह समर्पित रह सकीं।