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ब्रह्मपुत्र नदी: क्या चीन वाकई रोक सकता है इसका पानी? पाकिस्तान क्यों डरा रहा है?

 

Last Updated: June 04, 2025, 16:33 IST
Location: New Delhi, Delhi

ब्रह्मपुत्र नदी: क्या चीन वाकई रोक सकता है इसका पानी? पाकिस्तान क्यों डरा रहा है?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पड़ोसी मुल्क का कहना है कि अगर भारत ऐसा कर सकता है तो चीन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक सकता है.

ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर बताई जाती है, जिसमें से यह भारत में लगभग 918 किलोमीटर का सफर तय करती है.

हाइलाइट्स

  • चीन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी पूरी तरह नहीं रोक सकता
  • ब्रह्मपुत्र का अधिकांश पानी भारत में बारिश से आता है
  • असम के सीएम ने पाकिस्तान की धमकी को निराधार बताया

Can China Really Stop The Flow Of Brahmaputra Water To India? हालांकि भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य हमले बंद कर दिए हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच जल युद्ध जारी है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद नई दिल्ली ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था. 1960 के जल समझौते को बरकरार ना रखने के फैसले से पाकिस्तान नाराज और चिंतित है. एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान की तरफ सिंधु और झेलम नदियों का जल स्तर कम हो रहा है. पानी की इस कमी का सीधा असर गर्मियों की मौसम में होने वाली फसल पर पड़ेगा. ऐसे में पाकिस्तान ने एक बार फिर डराने की रणनीति अपनाई है.

इस्लामाबाद ने कहा कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने से चीन के पास भारत में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने का एक बहाना हो सकता है. जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग जंगबो या यारलुंग त्संगपो के नाम से जाना जाता है. यारलुंग जंगबो नदी जब भारत के अरुणाचल प्रदेश में बहती है तो ब्रह्मपुत्र बन जाती है. हालांकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ब्रह्मपुत्र से जुड़ी एक काल्पनिक स्थिति पर डर पैदा करने के निराधार प्रयास के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है. आइए नजर डालते हैं कि ब्रह्मपुत्र पर चीन की संभावित रोक को लेकर असम के मुख्यमंत्री सरमा क्या कह रहे हैं और जानकारों का क्या कहना है?

शहबाज शरीफ के सहयोगी ने क्या कहा?

सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भारत का फैसला इस्लामाबाद में एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के एक वरिष्ठ सहयोगी राणा एहसान अफजल ने पिछले महीने के अंत में चेतावनी दी थी कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित करने से एक खतरनाक मिसाल कायम हो सकती है. उन्होंने कहा कि चीन भी ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने जैसे कदम उठा सकता है. राणा एहसान अफजल ने कहा कि नई दिल्ली के फैसले का न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र पर असर पड़ सकता है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर भारत ऐसा कुछ करता है और पाकिस्तान का पानी रोकता है. तो चीन भी ऐसा ही कर सकता है. अगर इस तरह की चीजें होती हैं तो पूरी दुनिया युद्ध की स्थिति में होगी.”

तो प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहे भारत

बीजिंग में सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर झिकाई गाओ ने इंडिया टुडे से कहा कि किसी को दूसरों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसा वे स्वयं अपने साथ नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का पूरी तरह से नियंत्रण है. उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत से नदियां पाकिस्तान में बहती हैं, उसी तरह चीन से भी नदियां भारत में बहती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत दूसरों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो उसे बदले में इसी तरह की प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहना चाहिए. जिससे देश के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं. लेकिन, क्या चीन वास्तव में भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को रोक सकता है? तकनीकी, भौगोलिक और भू-राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए चीन कुछ हद तक ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को बदल सकता है. लेकिन वह इसे पूरी तरह से नहीं रोक सकता. वास्तव में, प्रवाह को बदलने से भी बड़े परिणाम हो सकते हैं.

ब्रह्मपुत्र में चीन की भागीदारी 22 से 30%

natstrat.org के एक लेख के अनुसार ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन के कुल जल प्रवाह में चीन की हिस्सेदारी केवल 22 से 30 प्रतिशत है. इसके लिए तिब्बती मौसम मुख्य रूप से जिम्मेदार है. वहां प्रति वर्ष 4-12 इंच की हल्की वर्षा और बर्फबारी होती है. लेकिन भूटान अपने छोटे आकार के बावजूद नदी बेसिन के केवल 6.7 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हुए भी 21 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान देता है. भारतीय बेसिन, जो क्षेत्र के 34.2 प्रतिशत को कवर करता है ब्रह्मपुत्र नदी में अधिकतम 39 प्रतिशत का योगदान देता है. लेख में कहा गया है, “भारत में प्रवेश करने से पहले ब्रह्मपुत्र के पूरे प्रवाह का केवल 14 प्रतिशत ही नदी में होता है. शेष 86 प्रतिशत भारत में बारिश और मानसून द्वारा आता है. इस प्रकार यह साफ है कि ब्रह्मपुत्र के नदी प्रवाह में चीन का योगदान मामूली है.”

इस मामले में क्या है एक्सपर्ट की राय

कुछ जानकारों का मानना ​​है कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने की कोई आधिकारिक योजना नहीं बनाई है. लेकिन बीजिंग ने पिछले साल दिसंबर में तिब्बत में यारलुंग जंगबो या यारलुंग त्संगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध बनाने की घोषणा की थी. इस निर्माण ने भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बुनियादी ढांचे से बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा. विशेष रूप से मानसून के मौसम में और इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो सकता है. बांध की घोषणा के समय चीन ने कहा था कि पूरा हो जाने पर यह थ्री गॉर्जेस बांध की तुलना में तीन गुना अधिक एनर्जी पैदा करेगा. थ्री गॉर्जेस हर साल 88.2 बिलियन किलोवाट बिजली पैदा करता है.

भारत को हो सकती है क्या दिक्कत

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह बांध भारत के लिए एक समस्या बन सकता है. भारत को चिंता है कि इस परियोजना के कारण देश को अपनी जल आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर होना पड़ सकता है. लोगों का यह भी कहना है कि इतने बड़े बांध से ब्रह्मपुत्र नदी का नीचे की ओर प्रवाह बाधित होगा. इससे खेती पर असर पड़ सकता है. देश के कृषि क्षेत्र के लिए जोखिम होने के अलावा ऐसा बांध सुरक्षा के लिए भी खतरा है. चूंकि बांध अरुणाचल प्रदेश के पास बनने की उम्मीद है, जो भारत और चीन दोनों के दावे वाला क्षेत्र है. इसलिए इससे मामला जटिल होने की आशंका है.

सीएम सरमा ने दिया धमकी का जवाब

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोकने के बयान के साथ भय फैलाने की कोशिश के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है. एक्स पर कड़े शब्दों वाले एक पोस्ट में सीएम सरमा ने लिखा, “आइए इस मिथक को तोड़ें, भय से नहीं, बल्कि तथ्यों और स्पष्टता के साथ.” उन्होंने सबसे पहले बताया कि ब्रह्मपुत्र एक ऐसी नदी है जो भारत में बढ़ती है, सिकुड़ती नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद नदी की ताकत और बढ़ जाती है. सरमा ने यह भी तर्क दिया कि अगर चीन ने ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को रोकने की कोशिश की तो इससे भारत को नुकसान नहीं बल्कि मदद मिलेगी. कैसे? उन्होंने कहा कि इससे असम में बार-बार आने वाली बाढ़ कम होगी जिससे हर साल लाखों लोग विस्थापित होते हैं. अंत में उन्होंने कहा कि चीन ने कभी भी आधिकारिक तौर पर ब्रह्मपुत्र को हथियार बनाने की धमकी नहीं दी है. उन्होंने पाकिस्तान के सुझाव को महज अटकलबाजी और भय फैलाने वाला बताया.

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