वाह! भोपाल के छात्र का कमाल, ₹5000 में बनाई ऐसी व्हीलचेयर, जिसे सिर्फ सिर हिलाकर चलाएंगे दिव्यांग!
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वाह! भोपाल के छात्र का कमाल, ₹5000 में बनाई ऐसी व्हीलचेयर, जिसे सिर्फ सिर हिलाकर चलाएंगे दिव्यांग!

भोपाल: आज का युवा कुछ नया और अलग करने की सोच रखता है। विज्ञान हो या इलेक्ट्रॉनिक्स, हर क्षेत्र में छात्र अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। इसी कड़ी में भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT) के एक छात्र ने एक ऐसा अद्भुत आविष्कार किया है, जो दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बना देगा। MANIT के छात्र गौतम प्रताप ने एक अनोखी व्हीलचेयर बनाई है, जिसे दिव्यांगजन बिना किसी सहारे के, सिर्फ अपने सिर के इशारे से चला सकते हैं। इस कमाल की व्हीलचेयर को बनाने में गौतम को लगभग एक महीने का समय लगा और सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में सिर्फ ₹5000 का खर्च आया है!

वाह! भोपाल के छात्र का कमाल, ₹5000 में बनाई ऐसी व्हीलचेयर, जिसे सिर्फ सिर हिलाकर चलाएंगे दिव्यांग!
वाह! भोपाल के छात्र का कमाल, ₹5000 में बनाई ऐसी व्हीलचेयर, जिसे सिर्फ सिर हिलाकर चलाएंगे दिव्यांग!

इशारों पर नाचेगी व्हीलचेयर

गौतम बताते हैं कि यह व्हीलचेयर तीन अलग-अलग तरीकों से कंट्रोल की जा सकती है। पहला तरीका है जॉयस्टिक, जिसका इस्तेमाल हाथों से किया जा सकता है। दूसरा तरीका है मोबाइल ऐप के जरिए कंट्रोल करना। अगर आप कहीं दूर बैठे हैं, तो सिर्फ एक ऐप के जरिए व्हीलचेयर को अपने पास बुला सकते हैं। लेकिन जो सबसे अनोखा और खास तरीका है, वह है हेड मोशन कंट्रोल। इसके लिए एक खास कैप डिजाइन की गई है। इस कैप को पहनने के बाद, दिव्यांगजन जिस तरफ भी अपना सिर झुकाएंगे, व्हीलचेयर उसी दिशा में चलना शुरू कर देगी।

कबाड़ से कमाल की खोज

MANIT के इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के फाइनल ईयर के छात्र गौतम ने इस खास व्हीलचेयर का नाम ‘स्वचालक’ रखा है, जिसका मतलब है ‘स्वयं चलने वाला’। हेड मोशन कंट्रोल की मदद से बिना हाथ-पैर वाले व्यक्ति भी सिर्फ अपने सिर पर टोपी लगाकर इसे आसानी से चला सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि इस व्हीलचेयर का लगभग हर एक सामान स्क्रैप से जुटाया गया है। गौतम ने कबाड़ से जुगाड़ करके इस शानदार मशीन को तैयार किया है। यह व्हीलचेयर 70 किलो तक का वजन उठा सकती है। इस प्रोजेक्ट में गौतम के साथ जुनैद, फैजान, अविनाश और चेतन भी शामिल थे और उन्होंने डॉ. पंकज स्वर्णकार के मार्गदर्शन में इसे पूरा किया।

दिन-रात की मेहनत लाई रंग

गौतम बताते हैं कि उन्होंने अपने फाइनल ईयर के इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। उन्होंने व्हीलचेयर का ढांचा स्क्रैप से सिर्फ ₹400 में खरीदा और फिर उस पर खुद ही रंग-रोगन किया। इस चेयर को चलाने के लिए उन्होंने पुराने वाइपर मोटर का इस्तेमाल किया, जो उन्हें ₹400 में दो मिल गए थे। इसमें इस्तेमाल किया गया हर छोटा-बड़ा सामान इंजीनियरिंग तकनीक की मदद से तैयार किया गया है, जो इसे बाजार में मिलने वाली महंगी व्हीलचेयर से अलग और किफायती बनाता है।

स्टीफन हॉकिंग्स बने प्रेरणा

गौतम बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग्स रहे हैं। उन्होंने बताया कि हॉकिंग्स के पास एक ऐसी चेयर थी, जो ब्रेन कंट्रोलिंग सिस्टम से चलती थी। जैसा वे सोचते थे, चेयर उसी दिशा में जाती थी। वह चेयर सिर्फ उन्हीं के लिए বিশেষভাবে बनाई गई थी और उसमें कई खास फीचर्स थे। वहीं से गौतम को इस बड़े प्रोजेक्ट का विचार आया।

कम कीमत में शानदार आविष्कार

गौतम को इस प्रोजेक्ट में गाइड करने वाले डॉ. पंकज स्वर्णकार बताते हैं कि इस पूरे प्रोजेक्ट में गौतम ने टीम को लीड किया था। गौतम शुरू से ही इस तरह के अनोखे प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रहा है। इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में लगभग डेढ़ से दो साल की कड़ी मेहनत लगी है। बाजार में अलग-अलग तकनीक की व्हीलचेयर आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन जिस कीमत में गौतम और उनकी टीम ने इसे बनाया है, इतने कम दाम में कोई भी कंपनी इतने सारे फीचर्स के साथ व्हीलचेयर नहीं दे सकती है।

दिव्यांगजनों के लिए उम्मीद की किरण

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉ. सुषमा गुप्ता कहती हैं कि MANIT एक तकनीकी संस्थान है और ऐसे में उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे दूसरी यूनिवर्सिटीज से बेहतर प्रोजेक्ट बनाकर दिखाएं। गौतम और उनकी टीम द्वारा बनाया गया यह प्रोजेक्ट न सिर्फ दिव्यांगजनों को सहायता प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें कम कीमत में एक बेहतर विकल्प भी उपलब्ध कराएगा। गौतम और उनकी टीम का यह आविष्कार निश्चित रूप से दिव्यांगजनों के जीवन में एक नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता की किरण लेकर आएगा।

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